उज्जैन कार्तिक मेला बंद! व्यापारियों ने उतार दिए कपड़े, जानें क्या कहते हैं जिम्मेदार
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उज्जैन कार्तिक मेला बंद! व्यापारियों ने उतार दिए कपड़े, जानें क्या कहते हैं जिम्मेदार

उज्जैन कार्तिक मेले के बंद होने का विरोध अब निगम कार्यालय तक पहुंच गया है. मेला व्यापारियों ने अर्धनग्न होकर निगम ऑफिस पहुंच इसका विरोध किया और मेला प्रारंभ कराने की मांग की.

उज्जैन कार्तिक मेला बंद! व्यापारियों ने उतार दिए कपड़े, जानें क्या कहते हैं जिम्मेदार

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में हर साल लगने वाले कार्तिक मेले को प्रशासन ने एक युवक की हत्या के बाद बंद कर दिया है. इससे व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है. बुधवार शाम को इसी के विरोध में मेला व्यापारी अर्धनग्न होकर उज्जैन नगर निगम ऑफिस पहुंचे और मेला को फिर से शुरू करने की अपील की. हालांकि निगम आयुक्त ने महापौर और महापौर ने प्रशासन पर इसका फैसला छोड़ दिया है.

विरोध पर बंद किया गया मेला
शहर के महाकाल थाना क्षेत्र अंतर्गत शिप्रा किनारे नगर निगम द्वारा बीते कई वर्षों से कार्तिक मेले को आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष भी आयोजन किया गया, लेकिन मेले में मंगलवार रात एक युवक हत्या हो गई. इसी कारण मेले का विरोध हिंदी संगठनों और युवके के परिजनों ने किया, जिसके बाद मेले को पूरी तरह से बंद करने का फरमान प्रशासन ने सुना दिया.

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छाटे व्यापारियों की चिंता बढ़ी
प्रशासन के फरमान ने तमाम छोटे व्यापारियों के माथे पर मानो चिंता की लकीर खींच गी है. अचानक बंद का विरोध करने तमाम पुरुष व्यापारी अर्धनग्न हालात में नगर निगम का घेराव करने पहुंच गए और मांग की जहां हत्या हुई जिसके झूले पर हत्या हुई उसके यहां कार्रवाई करो. हम गरीबो को कमाने खाने दो. 

होगा भारी नुकसान
व्यापारियों का कहना है हमने मेले में 1 महीने तक व्यापार करने की रसीद नगर निगम से प्राप्त की है. ऐसे में 14 दिन के अंदर हमें हटा दिया गया. हम कहां से भरपाई करेंगे. करीब एक व्यापारी का 50 से 60000 व कुछ व्यापारियों के तो एक लाख से ऊपर की लागत लगी है, जिसमें माल रखने से लेकर, रसीद व अन्य खर्चे शामिल है.

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व्यापारियों ने की ये अपील
व्यापारियों ने कहा कि हम बर्बाद हों जाएंगे, कर्ज कैसे चुकाएंगे, ब्याज पर पैसा लेकर हमने यह दुकानें लगाई हैं. तमाम व्यापारियों के यही हाल है. कोई हमारी सुनने को तैयार नहीं है. हमारा कहना है जिसके यहां यह हत्या हुई उसके यहां कार्रवाई की जाए. हमारा नुकसान नहीं किया जाए और या तो हमारी भरपाई की जाए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार?
निगम उपायुक्त आदित्य नागर ने आश्वासन दिया है कि महापौर के साथ मेले को लेकर मीटिंग है. उसके बाद आपके लिए निर्णय लिया जाएगा, लेकिन जब मीटिंग के बाद तमाम व्यापारी महापौर के पास पहुंचे तो महापौर मुकेश टटवाल का कहना था कि हमारी तरफ से कोई मना नहीं है. यह तो प्रशासनिक आदेश है. इसमें हम कुछ नहीं कह सकते. यानी कुल मिलाकर व्यापारियों से पल्ला झाड़ लिया गया.

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