नूरजहां आम, जो अपने विशाल आकार और स्वाद के लिए जाना जाता है, विलुप्त होने के खतरे में है. सही जलवायु न मिलने के कारण, नूरजहां के पेड़ों की संख्या कम हो रही है. वर्तमान में केवल 6 पेड़ बचे हैं, जिनमें से केवल एक पर फल लगे हैं.
अफगान मूल की जानी-मानी नूरजहां आम की किस्म अपने बड़े आकार के लिए दुनियाभर में जानी जाती है, लेकिन सही वेदर क्लाइमेट नहीं मिलने से नूरजहां आम की प्रजाति विलुप्त होती नजर आ रही है.
नूरजहां आम की बात करें तो ये आम अपने बड़े आकार के लिए जाने जाते हैं. नूरजहां आम के वजन की बात करें तो यह 3.5 किलोग्राम से 4.5 किलोग्राम के बीच होता है.
बता दें कि नूरजहां आम की बाजार में कीमत 1000 रुपये से लेकर 1200 रुपये प्रति किलो तक होती है, लेकिन वर्तमान में उत्पादन कम होने से नूरजहां के शौकीनों को आम खाने को नहीं मिलेगा.
बगीचे के मालिक शिवराज सिंह ने आम की कीमत का आकलन लगभग 2500 रुपये प्रति आम किया है. वहीं, इस आम को देखने और खरीदने के लिए कट्ठीवाड़ा के बगीचे में पर्यटकों का जमावड़ा लगा है.
बता दें कि दुर्लभ ''नूरजहां'' आम के गिने-चुने पेड़ बचे हैं. इससे चिंतित अधिकारी अब आम की इस खास प्रजाति को आने वाली पीढ़ियों के वास्ते बचाने के लिए इसके पेड़ों की तादाद बढ़ाने के वैज्ञानिक प्रयास करने के साथ-साथ टिश्यू कल्चर पद्धति प्रयोग की भी तैयारी वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही है.
उन्होंने यह कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि अभी वर्तमान में मात्र नूरजहां के 6 पेड़ बचे हुए हैं और मात्र एक पेड़ में ही नूरजहां आम लगे हैं. जिनमें आमों की संख्या 15 से 20 है जो कि नूरजहां के शौकीनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
नूरजहां आम की विलुप्त होती प्रजाति को लेकर बगीचे के मालिक शिवराज जादव ने बताया कि सही वेदर और क्लाइमेट की वजह न होने से आम की ग्रोथ समय पर और सही से नहीं हो पाई.
शिवराज जादव ने बताया कि इससे आम की संख्या और आकार कम है. इसको लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने मुझसे टिश्यू कल्चर के बारे में भी बात की ताकि आने वाली पीढ़ियों को विलुप्त हो रहे नूरजहां आम का स्वाद चखने का मौका मिले.
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