मुरैना: मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों में से मुरैना पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है.राकेश मावई ने 21469 वोट पाकर भाजपा को हराया. हालांकि शुरुआती रुझानों में बसपा सबसे आगे चल रही थी, भाजपा दूसरी और कांग्रेस तीसरे नंबर पर चल रही थी.अंतिम समय में पासा पलटा और कांग्रेस के हाथ जीत लगी. 


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मुरैना से भाजपा के हारने के पीछे कोरोना के भीषण संक्रमण के दौर में रघुराज कंसाना का जनता के बीच से नदारद रहना भी हो सकता है. वहीं राकेश मावई की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ कांग्रेस के लिए मददगार साबित हुई है. 


मुरैना जिले में पहली बार एक साथ इतने उपचुनाव हुए हैं. यहां के चार विधायकों इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिनमें ऐंदल सिंह कंसाना, रघुराज सिंह कंसाना, गिर्राज डण्डौतिया और कमलेश जाटव शामिल थे. जिनमें से ऐंदल सिंह कंसाना और गिर्राज डण्डौतिया को शिवराज सरकार में मंत्री भी बनाया गया और दोनों नेता मंत्री पद पर रहते हुए चुनाव मैदान में उतरे. 


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कांग्रेस के जीतने के कारण
कांग्रेस ने भाजपा में शामिल हुए विधायकों को लेकर टिकाऊ और बिकाऊ का मुद्दा उठाया था. जो भाजपा के लिए गलत साबित हो सकता है. साथ ही कांग्रेस की जीत बीजेपी के भीतरघात का नतीजा भी हो सकता है. 


भाजपा की हार का कारण
कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं, उनमें से कई उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनकर उतरे हैं. इन विधायकों को कांग्रेस ने बिकाऊ और जो कांग्रेस में रह गए उन्हें टिकाऊ बोल कर मुद्दा बनाया था. वहीं 2018 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जनता के बीच से कंसाना का नदारद रहना भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है.


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