बीजेपी नेता ने कहा, 'भारत विभाजन सहित कश्मीर जैसी जितनी भी समस्याएं आज भारत में हैं, उन सबका जिम्मेदार कौन है.'
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रायपुरः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर वीर सावरकर के सबसे पहले दो देश की बात कहने के बयान पर पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने बयान जारी कर कहा कि इतिहास को फिर से पढ़ने की जरूरत है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'कम ज्ञान में ज्यादा बोलना ठीक बात नहीं है. बड़ी पराजय के बाद आदमी सदमे में रहता है और इसी तरह की कुछ भी बातें बोलता है. वीर सावरकर ने देश को नहीं बांटा. हर भारतीय जानता है कि देश का बंटवारा किसकी देन है. '
बीजेपी नेता ने कहा, 'भारत विभाजन सहित कश्मीर जैसी जितनी भी समस्याएं आज भारत में हैं, उन सबका जिम्मेदार कौन है. बीजेपी ने कभी भी किसी पर उंगली नहीं उठाई लेकिन जब हमारी विचारधारा के महापुरुषों पर राजनीतिक कारणों से देश के बंटवारे का बीजारोपण करने जैसे निकृष्ट आरोप लगाए जाएंगे तो हम इतिहास याद दिला देने के लिए विवश हैं.'
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस के लोग आजादी का श्रेय खुद के खाते में डालते हैं और यह बताते रहे हैं कि देश को कांग्रेस ने आजाद कराया. जबकि वास्तविकता यह नहीं है. 1857 में कौन सी कांग्रेस थी. अनगिनत राष्ट्र भक्तों ने बलिदान दिया. तब जा कर यह आज़ादी मिली. अंग्रेज जब यह समझ गए कि भारत में उनके दिन पूरे हो गए हैं और अब उनका यहां टिक पाना संभव नहीं है इसलिए भारत छोड़ते छोड़ते उन्होंने नेहरू की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का लाभ उठाया और भारत के दो टुकड़े करवा दिए.
छत्तीसगढ़ः सीएम भूपेश बघेल के स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर विवादित बोल
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर विवादित बयान देते हुए वीर सावरकर पर धार्मिक आधार पर राष्ट्र को बांटने का आरोप लगाया. रायपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि के कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए भूपेश बघेल ने यह बात कही. उन्होंने कहा, 'दामोदर वीर सावरकर ने सबसे पहले धार्मिक आधार पर दो राष्ट्र की बात कही थी, जिसे बात में जिन्ना ने मूर्त रूप दिया, ये इतिहास में दर्ज है जिसे कोई झुठला नही सकता.'
भूपेश बघेल ने कहा, 'सावरकर ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी लेकिन जेल जाने के बाद अंग्रेजो को दर्जनों माफी पत्र लिखे और छूटने के बाद आजादी आंदोलन में शामिल नही हुए'