मामले की शिकायत जब एसडीएम से की तो वह टालमटोल करते रहे. कार्रवाई न होने पर महिला ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिकायत कर ज्ञापन सौंप दिया.
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छिंदवाड़ा: मध्यप्र देश में घटिया अनाज वितरण के रोज नए घोटाले सामने आ रहे हैं. बालाघाट, मंडला समेत कई जिलों में बांटे गए घटिया चावल का मामला थमा भी नहीं था कि अब घटिया गेहूं बांटने का मामला सामने आया है. यहां भी खराब गेहूं बांट दिया गया.
क्या है मामला
छिंदवाड़ा के चांदमेटा की रहने वाली महिला ने बताया कि राशन दुकानों पर सड़ा गेहूं वितरित किया जा रहा है. यह इतना खराब होता है कि जानवरों तक नहीं दे सकते. मामले की शिकायत जब एसडीएम से की तो वह टालमटोल करते रहे. कार्रवाई न होने पर महिला ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिकायत कर ज्ञापन सौंप दिया.
नागरिक आपूर्ति निगम एवं खाद्य विभाग करता है गुणवत्ता की जांच
नागरिक आपूर्ति निगम एवं खाद्य विभाग के अधिकारी पीडीएस की दुकानों पर माल भेजने से पहले उसकी गुणवत्ता को जांचते हैं. साथ ही माल का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टर की भी जिम्मेदारी है कि खराब माल होने पर वह उसका परिवहन ना करें. बावजूद इसके सूबे में धड़ल्ले न केवल से घटिया अनाज का संग्रहण किया जाता है बल्कि वितरण किया जा रहा है.
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शाजापुर में आया था मामला
शाजापुर जिले में पीडीएस की 348 दुकानें हैं, जिनके माध्यम से 16149 परिवारों को राशन दिया जाता है. शाजापुर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ग्राम भदौनी में स्थित चौधरी वेयरहाउस पर 2 साल पुराना 10 हजार क्विंटल गेहूं रखा हुआ था. यह गेहूं वेयरहाउस में रखे-रखे खराब हो गया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती को छुपाने के लिए इस गेहूं को पीडीएस की 115 दुकानों पर वितरण करने के लिए भेजते थे. एक दिन मामला पकड़ा गया.
चावल मुद्दे पर घिरी हुई सरकार
लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों से गरीबों को राशन वितरण करने के आदेश दिए थे. इसी को लेकर प्रदेश के मंडला और बालाघाट समेत प्रदेशभर के गरीबों को चावल बांटे गए थे. मंडला और बालाघाट में हितग्राहियों ने घटिया चावल मिलने की शिकायत की थी. जिस पर केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ने चावलों की गुणवत्ता की जांच की थी. जांच में पाया गया कि जो चावल गरीबों में बांटे गए थे वो जानवरों को खिलाने जैसा था.
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