शिवपुरीः मध्य प्रदेश में साल 2020 का अगस्त और सितंबर महीना घोटालों के लिए जाना जाएगा. प्रदेश में बीते एक महीने में चार घोटाले सामने आ चुके हैं. सत्तू, चावल, गेहूं और ट्रैक्टर पार्ट्स घोटाले के बाद शिवपुरी जिले से एक और राशन घोटाला सामने आया है. यहां के गोदामों में रखा 7610 क्विंटल चावल जांच में जानवरों को खिलाने लायक मिला है. इन सब के बावजूद गोदामों का 43 हजार क्विंटल से ज्यादा घटिया चावल गरीबों में बांटा जा चुका है.


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दरअसल, पिछले महीने 29 और 30 अगस्त को भारतीय खाद्य निगम की टीम ने शिवपुरी के चावलों की जांच के लिए सैंपल लिए थे. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद यहां के चावलों की गुणवत्ता में भारी कमी दर्ज की गई है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिले में कटनी और रीवा से 51 क्विंटल चावल आया था. जांच में पता चला है कि शिवपुरी में मिला चावल भी पोल्ट्री ग्रेड का है, जिसे सिर्फ जानवरों को खिलाने के प्रयोग में लिया जाता है. 


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एक महीने में चार और घोटाले आ चुके हैं सामने 
1. चावल घोटाला

मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी. भारत सरकार के फूड और सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सैंपल लिए गए थे, जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे. घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने बालाघाट और मंडला के जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW को जांच का जिम्मा सौंपा था. जिसमें टीम ने 22 मील मालिकों और 9 अफसरों पर कार्रवाई की थी. टीम की जांच अभी भी पूरे प्रदेश में चल रही है. 


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2. गेहूं घोटाला
प्रदेश में चावल घोटाले का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ था कि शाजापुर में गेहूं में हेराफेरी सामने आ गई थी. यहां गरीबों को कीड़े लगा गेहूं बांट दिया गया था. जिले में पीडीएस की 348 दुकानें हैं, जिनके माध्यम से 16149 परिवारों को राशन दिया जाता था. लेकिन दो वर्षों से गेहूं वेयरहाउस में रखे-रखे खराब हो गया. बावजूद उसके जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती छुपाने के लिए इसे पीडीएस की 115 दुकानों पर वितरण करने के लिए भेजते थे. शाजापुर के साथ ही छिंदवाड़ा में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था. राशन दुकानों पर सड़ा गेहूं वितरित किया गया था. 


व्यापारी अपने बाकी साथियों के साथ गोदाम में रखे राशन को बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया करते थे. बालाघाट और मंडला की मीलों में जो राशन दिया गया, उस पर व्यापारियों ने 50 करोड़ का फर्जी बिल बनाया था. मोहन अग्रवाल पिछले 20 सालों से गरीबों के राशन पर हाथ साफ कर रहे थे. EOW ने कुछ दिनों पहले ही इंदौर से अपराधियों का पता लगाया था. यहां तक की मोहन अग्रवाल पर पुलिस ने पांच हजार का इनाम भी रखा है. 


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3. ट्रैक्टर घोटाला
यह स्कैम प्रदेश के उज्जैन जिले के उद्यानिकी विभाग में हुआ है. किसानों को कृषि यंत्र देने के नाम पर निजी एजेंसियों के खाते में पैसे डाले गए. मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना के तहत किसानों को खेती में सहायता के लिए ट्रैक्टर के पार्ट्स का वितरण होना था. लेकिन किसानों को चाइना मेड घटिया उपकरणों की सप्लाई की गई. जांच अधिकारी ने बताया था कि यह मामला चार साल से चल रहा है. गड़बड़ी 2017-18 की हो या 2019-20 की, जांच रिपोर्ट आ गई है.


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4. सत्तू घोटाला
प्रदेश में चावल, गेहूं और किसान ट्रैक्टर पार्ट्स खरीदी  घोटाले के बाद नीमच में आंगनबाड़ी केन्द्र से सत्तू घोटाला उजागर हुआ था. मामला नीमच जिले के मनासा तहसील से सामने आया था. जहां ब्लॉक की 247 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 84 केन्द्रों को कम सत्तू देने के मामले में नोटिस थमा दिए गए थे. यहां आंगनबाड़ियों को 2 से 20 किलो सत्तू वितरित किया गया, लेकिन प्रशासन ने 51 किलो से लेकर 800 किलो के सत्तू वितरण करने का बिल बनाया था. मामले की जांच एसडीएम लेवल के अधिकारियों द्वारा की जा रही है. नीमच कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि एसडीएम की जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले में आगे कार्रवाई की जाएगी.  


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