घटिया चावल मामला: शिवराज सरकार पर मोदी सरकार की टेढ़ी नजर, रोक सकती है 200 करोड़ की राशि
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घटिया चावल मामला: शिवराज सरकार पर मोदी सरकार की टेढ़ी नजर, रोक सकती है 200 करोड़ की राशि

केंद्र सरकार ने बालाघाट, मंडला और जबलपुर समेत प्रदेश के 10 जिलों में जानवरों को खिलाने वाला चावल मिलने पर नाराजगी जताई है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार राज्य को 200 करोड़ का राशि रोक सकती है. 

केंद्र सरकार राज्य को 200 करोड़ का राशि रोक सकती है.

भोपाल: प्रदेश घटिया चावल वितरण के मामले में शिवराज सरकार को झटका लग सकता है. केंद्र सरकार ने बालाघाट, मंडला और जबलपुर समेत प्रदेश के 10 जिलों में जानवरों को खिलाने वाला चावल मिलने पर नाराजगी जताई है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार राज्य को 200 करोड़ का राशि रोक सकती है. इसका सीधा असर सरकार के राजकोष पर पड़ेगा.

प्रदेश की अफसरों की लापरवाही से प्रदेश सरकार को यह नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि अभी इस पर किसी तरह का कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में डिप्टी कमिश्नर विश्वजीत हालदार ने चावल के 32 नमूनों की जांच में पाए गए पोल्ट्री ग्रेड चावल की रिपोर्ट उनके मंत्रालय को भी सौंपी है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार से विस्तृत​ रिपोर्ट तलब भी की गई है. पूरे मामले की जांच होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होने तक केंद्र सरकार पैसा रोक सकती है. 

कैसे हुआ मामले का खुलासा?
दरअसल, केंद्र सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी राज्यों में पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त वितरण करने के लिए राशन मुहैया कराया था. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के भी सभी जिलों में मुफ्त राशन वितरण किया गया. मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी. भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सेम्पल लिए गए थे जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW से जांच कराने के आदेश दे दिए थे.

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30 से ज्यादा लोगों के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई
बालाघाट और मंडला में चावल घोटाले की जांच में ईओडब्ल्यू की टीम 22 राइस मिलर्स और 9 अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज कर चुकी है. कई टीमें 52 जिलों के वेयर हाउस और निजी गोदामों की जांच में जुटी हैं.  ईओडब्ल्यू की टीम ने बालाघाट में 18, मंडला में 4 मिलर्स और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के 9 अफसरों पर एफआईआर कर चुकी है. बालाघाट और मंडला के वेयर हाउस में रखा 30 करोड़ कीमत का 10 हजार 700 टन खराब चावल सील किया है. 

यूपी-बिहार का चावल
इस मामले पर पीएमओ ने भी प्रदेश सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद शिवराज सरकार ने रिपोर्ट सौंपी थी. प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त टीम ने बालाघाट, मंडला, जबलपुर के वेयर हाउस से सैंपल लिए गए थे. जिसमें टीम ने पाया कि यह चावल यूपी या बिहार हो सकता है. 

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