इंदौर: चावल घोटाले के दो मास्टरमाइंड निकले, 50 करोड़ के घोटाले में लगेगी रासुका
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इंदौर: चावल घोटाले के दो मास्टरमाइंड निकले, 50 करोड़ के घोटाले में लगेगी रासुका

गरीबों को बांटे जाने वाले राशन को गोदामों में अलग रख देते थे. फिर बाजार से घटिया चावल खरीदकर राशन की दुकानों को सप्लाई करते थे.

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रेस कॉन्फेंस कर घोटाले के आरोपियों की जानकारी दी.

इंदौर/भोपालः प्रदेश के बहुचर्चित चावल घोटाले के अपराधियों का EOW ने खुलासा किया है. घोटाले के दोनो मुख्य आरोपी सहित चार अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रेस कॉन्फेंस कर घोटाले के आरोपियों की जानकारी दी. कलेक्टर ने बताया इंदौर के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मोहन अग्रवाल व उनके बेटे मोहित अग्रवाल ने सहयोगी आयुष अग्रवाल और लोकेश अग्रवाल के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया. चारों व्यापारियों ने 50 करोड़ का फर्जी बिल बनाकर गरीबों को लूटने का काम किया है. प्रशासन ने मोहन अग्रवाल के गोदाम से 600 कट्टों से ज्यादा का राशन बरामद किया है. 

गरीबों का चावल, बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते थे
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि मोहन अग्रवाल अपने साथियों के साथ मिलकर गरीबों को बांटे जाने वाले राशन को गोदामों में अलग रख देते थे. फिर बाजार से घटिया चावल खरीदकर राशन की दुकानों को सप्लाई करते थे. जिससे कि गरीबों को जो राशन मिलता था उसकी क्वालिटी बेहद खराब रहती थी. व्यापारी अपने बाकी साथियों के साथ गोदाम में रखे राशन को बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया करते थे. बालाघाट और मंडला की मीलों में जो राशन दिया गया, उस पर व्यापारियों ने 50 करोड़ का फर्जी बिल बनाया था. बताया जा रहा है कि घोटाला 100 करोड़ से भी ज्यादा का है और खाद्य आपूर्ति निगम के कई बड़े अधिकारियों का नाम भी इसमें सामनें आ सकता हैं.

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20 सालों से कर रहे थे धांधली; रासुका एक्ट लगेगा
मोहन अग्रवाल और उसके साथी पिछले 20 वर्षों से गरीबों का राशन चुरा रहे थे. जिससे प्रदेश के कई गरीब, घटिया राशन खाने पर मजबूर हो रहे थे. हैरत की बात तो यह है कि कारोबारी और उसके साथी पिछले 20 वर्षों से ये धांधली कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक राशन माफिया के मुख्य आरोपी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर मनीष सिंह ने पुलिस विभाग को राशन माफिया के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत प्रकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है, जो राज्य या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.

सीएम शिवराज ने सोशल मीडिया पर दी बधाई
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर इंदौर की जांच टीम को बधाई दी है. उन्होंने लिखा कि प्रदेश में प्रशासन द्वारा लगातार गरीब जनता का निवाला छीनने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. आज इंदौर में प्रशासन की सजगता और तत्परता से एक राशन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. साथ ही लिखा वो इंदौर टीम को बधाई देते है. यह क्रम निरंतर जारी रहै!

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कैसे हुआ मामले का खुलासा?
दरअसल, केंद्र सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी राज्यों में पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त वितरण करने के लिए राशन मुहैया कराया था. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के भी सभी जिलों में मुफ्त राशन वितरण किया गया. मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी. भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सेम्पल लिए गए थे जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW से जांच कराने के आदेश दे दिए थे.

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कई दिनों से चल रहीं थी चावल पर सियासत
चावल घोटाले का नाम आते ही सबसे पहले प्रदेश के खाद्य मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर घेरे में आए थे. जिसके बाद उन्होंने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को घेरा था, हालांकि पता चला था कि घोटाला लॉकडाउन के दौरान बंटे चावल और राशन में सामने आया था. इसी दौरान जांच में पता चला था कि क्व\लिटी कंट्रोलर की नियुक्ति कृष्णा सिक्युरिटी एजेंसी की सिफारिश पर की गई थी. जो इस घोटाले की जड़ों को राजनीति के ऊंचे पदों पर आसीन नेताओं तक भी पहुंचाती है और इस मामले को और भी बड़ा बना देती है.

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