नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में सरकार गंवाने के बाद अब कांग्रेस पार्टी को राज्यपाल लालजी टंडन के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भी हार का सामना करना पड़ा है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के 24 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. गवर्नर के पास स्पीकर को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए आदेश देने का अधिकार है या नहीं?


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इस  मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को फैसला सुनाया. अपने फैसले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश की सरकार बहुमत खो चुकी थी, ऐसे में राज्यपाल की ओर से फ्लोर टेस्ट करवाने के आदेश को गलत नहीं कहा जा सकता. राज्यपाल का वह कदम (फ्लोर टेस्‍ट कराने का आदेश देना) बिल्कुल ठीक था. राज्यपाल पर इसको लेकर कोई मामला नहीं बनता है.'


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इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल ज्यादा से ज्‍यादा विधानसभा का सत्र को बुला सकते हैं, लेकिन वह फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते हैं. कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी इस मामले में कमलनाथ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे थे.


गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार के अल्‍पमत में आने के बाद मध्य प्रदेश के राज्‍यपाल लालजी टंडन ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को फ्लोर टेस्‍ट कराने का आदेश दिया था. गवर्नर के इस आदेश पर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ यह भी स्‍पष्‍ट हो गया कि राज्‍यपाल के पास स्पीकर को फ्लोर टेस्‍ट कराने का आदेश देने का अधिकार है.


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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 68 पेज का फैसला दिया है. अब अदालत ने राज्यपाल के अधिकारों को लेकर स्थिति और साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में संविधान में दिए गए राज्‍यपाल के अधिकारों और उनकी शक्तियों का पूरा उल्लेख किया गया है. भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति आने पर इस फैसले को जरूर एक आधार माना जाएगा.


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