पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र पर निशाना साधते हुए बड़ा आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए प्रदेश को कोरोना संक्रमण में झोक दिया. उन्होंने कहा कि हमने विधानसभा को कोरोना के चलते स्थगित किया तो भाजपा ने कहा डरो ना. हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को झूठा और गुमराह करने वाला बताया.
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हरीश दिवेकर/भोपाल: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र पर निशाना साधते हुए बड़ा आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए प्रदेश को कोरोना संक्रमण में झोक दिया. उन्होंने कहा कि हमने विधानसभा को कोरोना के चलते स्थगित किया तो भाजपा ने कहा डरो ना. 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की शपथ ली और 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में टोटल लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. कमलनाथ से भोपाल से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से मीडिया से चर्चा करते हुए यह बात कही. हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को झूठा और गुमराह करने वाला बताया.
कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि सवाल यह है कि आखिर मोदी सरकार ने लॉकडाउन की 24 मार्च तक प्रतीक्षा क्यों की? उसका एक मात्र कारण था कि वो फरवरी माह से ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए काम कर रही थी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया एक गंभीर महामारी की चपेट में है. हज़ारों लोग रोज़ इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है. हम यह लड़ाई ऊंचे हौसले से लड़ रहे हैं. सब मिलकर लड़ रहे हैं. सभी दल अपनी पार्टी के दायरे से ऊपर उठकर एक साथ हैं. हम हर हाल में सब मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुखिया ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश को लेकर भी बेहद चिंतित हूं. वहां के हालात दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग हैं. यहां प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र है. न स्वास्थ्य मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नहीं है, न ही लोकल बॉडी है, सब नदारद हैं. आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट की है और मेरे प्रदेश के हेल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं.
कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जहां इस जंग में दो डॉक्टरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. इंदौर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित है और राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है. इस लॉकडाउन का लाभ तब ही होगा जब हम अधिक से अधिक टेस्ट कराएंगे.
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कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में 10 लाख लोगों पर मात्र 55 टेस्ट हो रहे हैं जो बेहद चिंता जनक हैं. प्रदेश के 20 जिलों में यह महामारी की पहुंच हो चुकी है. सबसे बड़ी चिंता किसानों की है. उनकी फ़सल पक गई है. सरकारी खरीद 25 मार्च को चालू हो जानी थी, अभी तक उसका कुछ पता नहीं है. रोज कमाकर खाने वालों की चिंता है. उन तक मदद नहीं पहुंच रही है.
प्रदेश के हालात ऐसे कैसे बने, इससे समझिए
सबसे पहले 12 फरवरी को राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को कोरोना की महामारी के बारे में आगाह किया था. केंद्र की भाजपा सरकार ने 40 दिन बाद 24 मार्च को लॉकडाउन घोषित किया. तब तक ये महामारी देश में 175 गुना बढ़ चुकी थी. फरवरी में 3 केस से बढ़कर ये 24 मार्च तक 536 केस तक पहुंच गई थी. आज स्थिति भीषण हो चुकी है.
कमलनाथ के आरोपों को बीजेपी ने बताया झूठा और गुमराह करने वाला
कमलनाथ के आरोपों को बीजेपी नेता झूठा और लोगों को गुमराह करने वाला बताया. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट किया, ''यह बहुत ही आपत्तिजनक और पत्रकारों को गुमराह करने का दुस्साहस है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी द्वारा अपनी दिल्ली पत्रकार वार्ता में बताया गया कि उन्होंने 16 मार्च को त्यागपत्र दिया है. कोरोना संकट के मामले में तो गैर जिम्मेदार रवैया है ही.''
उन्होंने सवाल किया कि कमलनाथ जी आपकी सरकार होती तो आप तुष्टिकरण की राजनीति करते क्या? आज कोरोना पर जिस प्रकार की राजनीति कमल नाथ जी कर रहे है यह बेहद निंदनीय और आपत्तिजनक है.