MP Assembly Election 2023: भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए संभवतः अक्टूबर के पहले हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है.  इससे पहले सियासी दल अपने प्रचार के साथ प्रत्याशियों का ऐलान करने लगे हैं. आए दिन आला नेताओं की सभाएं हो रही हैं. बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता प्रदेश में लगातार दौरे कर रहे हैं. लेकिन, इस बीच विपक्ष जिन मुद्दों पर सरकार को घेर रहा है अगर जनता में ये बात को अच्छे से रख पाए तो कुछ मुद्दे बीजेपी की जीत में रोड़ा बन सकते हैं.


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10 मुद्दे बन सकते हैं रोड़ा
मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बने. उसके बाद 2020 में उपचुनाव हुए और शिवराज सरकार ने बहुमत हासिल कर अपनी रफ्तार से काम शुरू किया. इस बीच प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जो सरकार के खिलाफ जाती हैं. प्रदेश के यह मुद्दे कही न कही आम जनता के बीच चर्चा में बने रहे हैं. जबकि विपक्ष ने भी इन्हें लगातार उठाया है. जिन मुद्दों पर शिवराज सरकार को घेरा जाता है उनमें. 


- उज्जैन रेप केस
- सीधी पेशाब कांड
- पटवारी भर्ती परीक्षा
- दलित अत्याचार
- महाकाल लोक 
- कर्मचारी हड़ताल
- सुरक्षा और अपराध
- OBC आरक्षण
- भ्रष्टाचार 
- इंदौर बावड़ी कांड


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उज्जैन रेप केस
हाल ही में मध्य प्रदेश की धर्म नगरी उज्जैन में नाबालिग बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया. लेकिन, मुद्दा राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने उठाया है. इसे शिवराज सरकार की महिला अपराधों के प्रति नाकामी के रूप में दर्शाया जा रहा है. इसके साथ ही प्रदेश में पिछले 3 साल में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. सतना में 8 साल की बच्ची के साथ रेप, मैहर में मासूम बच्ची से रेप की घटनाएं भी इनमें शामिल हैं. 


सीधी पेशाब कांड
विंध्य अंचल के सीधी में आदिवासी के ऊपर पेशाब करने का मामला देश भर में सुर्खियों में आया था. मामले ने इतना तूल पकड़ा के मुख्यमंत्री को पीड़ित के पैर तक धोना पड़ा. इसके बाद से प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार के कई छोटे बड़े मामले सामने आए. हालांकि, इनपर जांच जारी है. विपक्ष प्रदेश में आदिवासी अत्याचार को सबसे बड़ा मुद्दा बना रहा है. क्योंकि आदिवासी वोटर्स प्रदेश में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 


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पटवारी भर्ती परीक्षा
चुनावी साल में युवाओं को साधने के लिए सरकार ने बड़ी मात्रा में भर्तियां निकाली. इसमें सबसे ज्यादा संख्या पटवारियों की थी. लेकिन, परीक्षा विवादों में फंस गई और युवाओं का रोजगार फिर से अटक कर रह गया. ऐसे में पटवारी भर्ती परीक्षा के साथ-साथ व्यापमं की अन्य भर्तियों में खड़े हो रहे विवाद सरकार के लिए चुनावों में बड़ा सिर दर्द बन सकती है.


दलित अत्याचार
आदिवासी अत्याचार के साथ ही दलितों पर भी मध्य प्रदेश में अत्याचार का मुद्दा काफी बड़ा है. सीधी पेशाब कांड के बाद ही गुना में दलित की पिटाई, शहडोल में दलित पर हमला, गुना में दलित के साथ अत्याचार के अलावा सागर में दलित अत्याचार के 2 मुद्दे काफी सुर्खियों में रहे. इसके साथ ही कई छोटे बड़े मामले भी प्रदेश के अलग-अलग थानों में पहुंचे थे. 


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महाकाल लोक
जिस तरह से मध्य प्रदेश में सरकार धर्म और हिंदुत्व का प्रचार का वापसी करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में कुछ खामियां उसे भारी पड़ सकती है. उज्जैन में बने महाकाल लोक में कुछ मूर्तियां एक बारिश में तहस नहस होने को भी विपक्ष ने काफी प्रचारित किया था. हालांकि, इसमें सरकार का पक्ष कुछ और ही है. लेकिन, चुनावी लिहाज से इसे प्रचारित बहुत किया गया है.


कर्मचारी हड़ताल
मध्य प्रदेश में पिछले 3 साल से लगातार किसी न किसी विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल हो रही है. इसमें अभी चल रही पटवारियों की हड़ताल प्रमुख है. इसके साथ ही शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और डॉक्टर भी प्रदेश में हड़ताल कर चुके हैं. वहीं नर्सिंग छात्रों की हड़ताल भी इन दिनों एक मुद्दा बनी हुई है.


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सुरक्षा और अपराध
इस साल आए NCRB के आंकड़ों में मध्य प्रदेश कई मामलों में हाइक पर रहा. सबसे बड़ी बात महिला सुरक्षा के मामले में प्रदेश की रैंकिंग काफी खराब रही. इसके साथ ही प्रदेश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मुद्दा भी गूंजा है. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा बच्चों की गुमशुदगी का है.


OBC आरक्षण 
मध्य प्रदेश में 27 फीसदी OBC का आरक्षण सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. अभी तक राज्य में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिल पाया है. हालांकि, सरकार की तरफ से फैसला हुआ. लेकिन, कई पेंच के कारण ये अदालत में फंसा हुआ है. ऐसे में प्रदेश की करीब 50 फीसदी वोटर बीजेपी को वोट देने से पहले विचार कर सकते हैं. हालांकि यह मुद्दा जितना बीजेपी की गले की फांस है उतना ही यह मुद्दा कांग्रेस के लिए भी सिरदर्द हैं. 


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भ्रष्टाचार
मध्य प्रदेश में विपक्ष लगातार सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है. सभाओं में कुछ महीनों पहले सतपुड़ा भवन में लगी आग को प्रचारित किया जा रहा है. आग के आधार पर विपक्ष कह रहा है कि सरकार के द्वारा ये रचित रूप से फाइलों को जलाने के लिए किया गया है. हालांकि, इस पर विपक्ष ने कभी कोई पुख्ता सबूत नहीं दिए. लेकिन यह मुद्दा चर्चा में रहा है. 


इंदौर बावड़ी कांड
महाशिवरात्री के मौके पर इंदौर में बावड़ी कांड हुआ था. इसमें 36 लोगों की जान चली गई थी. घटना मंदिर में जुटी भारी भीड़ के कारण हुई थी. मौतों के बाद भी कई प्रशासनिक और सरकारी लापरवाही सामने आईं थी. सरकार पर विपक्ष आरोप लगाता रहा कि केवल धर्म की सियासत करने के लिए भीड़ को जमने से नहीं रोका गया. इसके अलावा इंदौर के नेताओं पर भी ये कांड एक सवालिया निशान खड़े करता है.


ये भी हो सकते हैं मुद्दे
जनता के तमाम मुद्दों के साथ कई सियासी मसले भी बीजेपी की जीत में रोड़ा बन सकते हैं. भाजपा की जारी प्रत्याशियों की सूची में इसे साफ तौर पर देखा जा सकता है. कई सियासी जानकार ये मान रहे हैं कि संगठनात्मक रूप से एक रहने वाली बीजेपी इन दिनों गुटों में बट रही है.


जिस तरह से केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को टिकट दिया गया और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारने की बात चल रही है. इससे पार्टी के अंदर बड़े चेहरों में साइलेंट विवाद पार्टी के लिए भारी पर सकता है. हालांकि यह बातें राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं के तौर पर ली जा रही हैं. लेकिन यह मुद्दे चुनावी समर में गूंजेंगे जरूर.


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