Chhattisgarh News: सत्ता बदलते ही हटे जनपद पंचायत अध्यक्ष, सूरजपुर में कांग्रेस को गंवानी पड़ी कुर्सी
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Chhattisgarh News: सत्ता बदलते ही हटे जनपद पंचायत अध्यक्ष, सूरजपुर में कांग्रेस को गंवानी पड़ी कुर्सी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बीजेपी (BJP) की सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि सूरजपुर ब्लॅाक के जनपद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. जिसके बाद अध्यक्ष को उनके पद से हटा दिया गया है. 

Chhattisgarh News: सत्ता बदलते ही हटे जनपद पंचायत अध्यक्ष, सूरजपुर में कांग्रेस को गंवानी पड़ी कुर्सी

ओपी तिवारी/ सूरजपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) में बीजेपी की सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि सूरजपुर ब्लॅाक के जनपद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (Surajpur No confidence Motion) लाया गया. इसमें ज्यादातर जनपद सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग किया जिसकी वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया है. बता दें कि बीते कई दिनों से सूरजपुर में अध्यक्ष को बदलने की सुगबुगाहट चल रही थी. 

लाया गया प्रस्ताव 
सूरजपुर ब्लॉक के जनपद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया. जिसमें ज्यादातर जनपद सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग किया और उन्हें पद से हटा दिया गया है. बता दें सूरजपुर ब्लॉक में कांग्रेस समर्थित जगलाल सिंह जनपद अध्यक्ष थे, सत्ता बदलने के बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सूरजपुर जनपद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, इसके बाद वही हुआ और अध्यक्ष को पद से हटा दिया गया है. 

सूरजपुर जनपद में कुल 25 सदस्य हैं, जिसमें 23 जनपद सदस्य इस अविश्वास प्रस्ताव में शामिल होकर अपना मत किया.  जिसमें दो वोट रिजेक्ट हो गए और 21 सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग की. इसके बाद पीठासीन अधिकारी ने जनपद अध्यक्ष को पद से हटाने की घोषणा की. बता दें कि जनपद सदस्यों का आरोप है कि पूर्व अध्यक्ष अपनी मनमानी कर रहे थे और सदस्यों का साथ नहीं दे रहे थे. इसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. 

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उपाध्यक्ष को लेकर भी है चर्चा 
अध्यक्ष की कुर्सी जाने के बाद उपाध्यक्ष के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा काफी ज्यादा तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि उपाध्यक्ष के खिलाफ भी जल्द ही अविश्वास लाया जा सकता है. जनपद पंचायत उपाध्यक्ष को अपनी कुर्सी बचाने के लिए उपस्थित सदस्यों में दो तिहाई मतों की आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस को इस पद से भी हाथ धोना पड़ता है या फिर कुर्सी बचा पाने में कामयाब होती है. 

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