विदिशाः मध्य प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच लापरवाही की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं. विदिशा जिले में भी स्वास्थ्य विभाग की ऐसे ही एक एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जब एक कोरोना मरीज को 2 बार मृत घोषित कर दिया गया. मामला विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज का बताया जा रहा है. 


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13 अप्रैल को मरीज को मृत बताया 
दरअसल, विदिशा से 25 किलोमीटर दूर सुल्तनिया के रहने वाले गोरेलाल कौरी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद उन्हें विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. एक दिन पहले मरीज के परिजनों को बताया गया कि उसकी हालत गंभीर है. वहीं 13 अप्रैल की देर रात 2: 30 बजे मरीज के परिजनों को बताया कि उनकी मौत हो चुकी है. जैसे ही यह खबर गोरेलाल के परिजनों ने सुनी तो परिवार में मातम छा गया. 


14 अप्रैल को फिर बताया मृत
मरीज की मौत की खबर सुनकर जैसे ही परिजन अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि उनके मरीज की सांसे चल रही हैं. परिजनों ने डॉक्टरों से मरीज के अच्छे इलाज की मांग की, लेकिन 14 अप्रैल बुधवार की सुबह साढ़े 8 बजे डॉक्टर का एक बार फिर फोन आया. इस बार भी डॉक्टर ने मरीज की मौत की खबर परिजनों को सुनाई. दुखी परिजन जब अस्पताल पहुंचे.. जहां उन्होंने मरीज को देखने की जिद की तो स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने मरीज का अंतिम संस्कार करने के लिए मना कर दिया और कहा कि नगर पालिका की टीम मरीज का अंतिम संस्कार करेगी. 


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मरीज के बेटे ने की शव देखने की जिद 
जब मरीज के बेटे ने उसके पिता का शव देखने की जिद की तो पता चला कि यह किसी और का शव था. जांच पड़ताल की गई तो उनके मरीज की हालत गंभीर थी और वह अभी भी आईसोलेशन वार्ड में भर्ती है. मरीज गोरेलाल के बेटे ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने उनके परिवार को काफी देर तक गफलत में डाले रखा, जब डेड बॉडी को देखा तब जाकर सच सामने आया. अभी उनके पिता की हालत गंभीर है और वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. कैलाश ने बताया कि इस मामले की शिकायत भी की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो सका. कैलाश ने बताया कि उनके पिता गोरेलाल भोपाल में रेलवे डाक विभाग में पोस्टमैन हैं.


स्वास्थ सुविधाओं की खुली पोल 
वहीं इस मामले पर अस्पताल के डीन सुनील नंदेश्वर का कहना है कि कोरोना के चलते आपाधापी बढ़ गई है. कहीं मरीज वेंटिलेटर पर हैं, तो दूसरे की सांस फूल रही, तीसरे का यह हो रहा, तो थोड़ा सा हो जाता है. डीन ने कहा मरीज वेंटिलेटर पर ही थे. उनके हृदय की गति रुक गई थी, तो इस समय किसी नर्स ने बता दिया कि उनकी मृत्यु हो गई, परंतु हृदय की गति रूकती है तो उसके बाद में डॉक्टर उनको हृदय को दोनों हाथों से दबाकर हृदय को दोबारा चालू करने की कोशिश करता है. जिसमें एक से दो घंटे करीब लग जाते हैं. इस वजह से यह गड़बड़ी हो गई. इस घटना के बाद प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल एक बार फिर खुल गई है. इससे पहले भी इस तरह के लापरवाही के कई मामलें सामने आ चुके है.


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