जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना सीनियर्स को पड़ा भारी, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज ने कर दिया सस्पेंड
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जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना सीनियर्स को पड़ा भारी, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज ने कर दिया सस्पेंड

डीन ने अब निर्देश दिए हैं कि बर्खास्त किए गए डॉक्टर्स की जगह पर नए रेजीडेंट डॉक्टर्स की नियुक्ति की जाएगी. 

जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना सीनियर्स को पड़ा भारी, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज ने कर दिया सस्पेंड

ग्वालियरः मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. अब कई सीनियर डॉक्टर्स ने भी जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन किया है. हालांकि ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टरों को जूनियर्स का समर्थन करना भारी पड़ गया है. दरअसल कॉलेज प्रशासन की तरफ से इन डॉक्टर्स को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है.  

नए रेजीडेंट डॉक्टर्स की नियुक्ति करेगा प्रशासन
गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. समीर गुप्ता ने सख्त रुख अपनाते हुए हड़ताल पर गए सभी सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स को बर्खास्त कर दिया है. इतना ही ही नहीं डीन ने अब निर्देश दिए हैं कि बर्खास्त किए गए डॉक्टर्स की जगह पर नए रेजीडेंट डॉक्टर्स की नियुक्ति की जाएगी. इस तरह कॉलेज प्रशासन बर्खास्त किए गए डॉक्टर्स की वापसी का रास्ता भी बंद कर रहा है.  

डीन डॉ समीर गुप्ता का कहना है कि सीनियर रेजिडेंट की कोई अपनी मांग नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी वह जूनियर डॉक्टर के साथ हड़ताल पर चले गए. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना था तो वह दूसरा तरीका भी अपना सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह सीधे-सीधे उनके बांड का उल्लंघन है क्योंकि यह नियुक्ति एक साल के लिए होती है और यह नियुक्ति आपको आपके विषय की ट्रेनिंग के लिए दी जाती है. ऐसे में आप हड़ताल नहीं कर सकते हैं.

बढ़ रहा जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन
वहीं मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, सीनियर रेजिडेंट के बाद अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी जूनियर डॉक्टर को अपना समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि यह लोग लंबे समय से सरकार से अपना स्टाइपेंड बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इनकी नहीं सुन रही है. ऐसे में इन्हें मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा. आईएमए का कहना है कि उनकी हड़ताल जायज है इसीलिए हम इनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि जब किसी मंत्री या विधायक का वेतन बढ़ना हो तब सरकार की कोई मजबूरी नहीं होती है लेकिन जब जान हथेली पर कोरोना काल में काम करने वाले फ्रंट लाइन वारियर्स अगर तनख्वाह बढ़ाने की बात करते हैं तो सरकार को आपत्ति होती है! 

  

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