जिस धार्मिक नगरी में हर 20 कदम की दूरी पर है मंदिर, उस जगह का मुस्लिम शासक ने नाम रखा 'होशंगाबाद'
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जिस धार्मिक नगरी में हर 20 कदम की दूरी पर है मंदिर, उस जगह का मुस्लिम शासक ने नाम रखा 'होशंगाबाद'

Shivraj Singh Chouhan Big Announcement: नर्मदापुरम् को धार्मिक नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि पूरे जिले में हजारों मंदिर हैं. यह सेठानीघाट सहित देवालयों के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं की मानें तो यहां हर 20 कदम की दूरी पर मंदिर है.

नर्मदापुरम् का शिव मंदिर(बाएं) और होशंग शाह का मकबरा (दाएं)

नई दिल्ली: पिछले साल नर्मदा जयंती के मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि होशंगाबाद अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. अब गुरुवार को केंद्र सरकार से नाम बदलने की मंजूरी मिलने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसका ऐलान कर दिया. सीएम शिवराज ने देर रात ट्वीट कर कहा, पवित्र नर्मदातट पर बसे होशंगाबाद शहर को अब मध्यप्रदेश की प्राणदायिनी मैया नर्मदा की जयंती के शुभ दिन से 'नर्मदापुरम' कहा जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के खूबसूरत शहरों में शुमार होशंगाबाद का पहले क्या नाम था? होशंगाबाद का नाम बदलने के बाद आपको इस बारे में भी जानना चाहिए की आखिर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् ही क्यों किया गया है? 

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दरअसल नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर बसा यह खूबसूरत होशंगाबाद शहर प्राकृतिक सुंदरता का जीता-जागता उदाहरण है. इतिहास के पन्ने पलटें तो पहले इसका नाम नर्मदा नदी के नाम पर नर्मदापुरम् रखा गया था, लेकिन बाद में मालवा के इस्लामिक शासक होशंग शाह के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद पड़ा.

जानिए कौन है होशंग शाह
इतिहास की मानें तो होशंग शाह मांडू का पहला सुल्तान था. उसने 1404-1435 तक यहां राज किया. होशंग शाह मालवा क्षेत्र का औपचारिक रूप से नियुक्त प्रथम इस्लामिक राजा था. मालवा का राजा घोषित होने से पहले होशंगशाह को अल्प खां नाम से जाना जाता था. उसके पिता दिलावर खां का दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के दरबार से संबंध रहा था. दिलावर खां को तुगलकों ने मालवा का राज्यपाल नियुक्त किया था. जब होशंग शाह मालवा का राजा बना तो 1405 ईस्वी में उसने अपने नाम पर नर्मदापुरम का नाम होशंगाबाद रखा. 

नर्मदापुरम की कुछ खास बातें
- 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जिले को सात राजनीतिक प्रभागों में विभाजित किया गया था.
- 1835 से 1842 तक होशंगाबाद, बैतूल और नरसिंहपुर जिलों को होशंगाबाद में मुख्यालय के साथ एक में रखा गया था.
- 1948 में भारतीय संघ में राज्यों का विलय हुआ और होशंगाबाद जिले को भी भारतीय संघ में शामिल किया गया. 
- मध्य प्रदेश के नए राज्य के गठन के बाद इसे 1956 में भोपाल कमिश्नर के डिवीजन में शामिल किया गया.

नर्मदापुरम की खासियत
आपको बता दें कि नर्मदापुरम् को धार्मिक नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि पूरे जिले में हजारों मंदिर हैं. यह सेठानीघाट सहित देवालयों के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं की मानें तो यहां हर 20 कदम की दूरी पर मंदिर है. प्राचीन काल से ही यह शहर अपने सुंदर प्राकृतिक, आध्यात्मिक और दर्शनीय स्थलों के कारण अपनी अगल पहचान बनाए हुए है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व है और कुछ प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे खेड़ापति, हनुमान मंदिर और शनि मंदिर यहां के बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मंदिर हैं.

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इन्होंने की थी नाम बदलने सिफारिश
गौरतलब है कि भोपाल से बीजेपी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और विधायक रामेश्वर शर्मा ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम किए जाने की मांग की थी.  दोनों बीजेपी नेताओं ने कहा था कि कब तक लुटेरे हुशंगशाह के नाम से होशंगाबाद को पहचाना जाए?  जिस लुटेरे ने हमारे मठ-मंदिर तोड़े,  भगवान भोले के मंदिर भोजपुर का शिखर तोड़ा उसके नाम से नगर का नाम मंजूर नहीं? मोक्ष दायिनी पुण्य सलिला मां नर्मदा जिनके दर्शन मात्र से पुण्य मिलता हो,  जिनके आशीर्वाद से मध्य प्रदेश के खेत लहलहाते हों उनके नाम से नगर पहचाना जाना चाहिए.

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