कोरोना का डर, संदिग्ध मरीज़ की मौत हुई तो परिचित और पड़ोसी नहीं आए काम, मुस्लिम समाज के लोगों ने किया अंतिम संस्कार.
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अतुल अग्रवाल/सागर: कोरोना आपदा में मानवता और भाईचारे की मिसाल भी सामने आ रही है. हिन्दू और मुसलमानों का भेद तोड़कर लोग एक-दूसरे की मदद के लिए सामने आ रहे हैं. ऐसी ही तस्वीर मध्य प्रदेश के सागर में सामने आई है. शहर के रामपुरा वार्ड में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में पदस्थ उल्लास हार्डिकर की तबीयत बिगड़ने पर उनकी कोविड जांच हुई थी. वह होम आइसोलेशन में थे. उनकी मौत हो गई. घर में उनकी पत्नी, बेटा और बहू हैं.
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परिचित सामने नहीं आए
उल्लास को जब अंतिम संस्कार के लिए घर से शव वाहन तक ले जाने और श्मशान घाट तक की बात आई तो पड़ोसी और परिचित सामने नहीं आये. ऐसे में एक व्यक्ति ने सागर मुस्लिम समाज के लोगों को फोन किया. कब्रिस्तान कमेटी और समाज के कुछ लोग आगे आये. उन्होंने पीपीई किट पहनी. शव को घर से चौराहे तक वाहन तक उठाकर लाये. फिर बाइक से नरायवली नाका मुक्तिधाम तक गए जहां अंतिम संस्कार हुआ.
मुस्लिम समाज के लोगों ने की मदद
कब्रिस्तान कमेटी के अध्यक्ष इरशाद खान पप्पू पहलवान ने बताया कि उनके पास फोन आया था कि उल्लास का निधन हो गया है. अंतिम संस्कार के लिए ले जाना है फिर व्यवस्था की गई. समाज में मौजूद ऐसे लोग भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं.
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