निर्विकार पथ के संस्थापक बाबाश्री ने त्यागी देह, इस खासियत के चलते गिनीज बुक में दो बार दर्ज हो चुका है नाम
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निर्विकार पथ के संस्थापक बाबाश्री ने त्यागी देह, इस खासियत के चलते गिनीज बुक में दो बार दर्ज हो चुका है नाम

बाबाश्री ने लोगों को 16 गलत आदतें छोड़ने के लिए निर्विकार पथ चलाया था. वे सभी को  निर्विकार पथ पर चलने का संदेश देते थे. उनके साथ हजारों की संख्या में लोग जुड़ते चले गए, बाबा के अनुयायी प्याज, लहसुन तक का सेवन नहीं करते थे.

 

बाबाश्री (फाइल फोटो)

शैलेंद्र शर्मा/नरसिंहपुरः नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में स्थित श्रीधाम आश्रम के संत श्रीश्री बाबाश्री ने अपनी देह त्याग दी. पिछले डेढ़ महीने से मुंबई में उनका इलाज चल रहा था. गुरुवार की शाम को उन्हें मुंबई से वापस जबलपुर लाया गया था. बाबाश्री ने संन्यासी जीवन में आने के बाद कभी अन्न नहीं खाया. 11 फीट से ज्यादा लंबी जटाएं रखने के चलते उनका नाम दो बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल उनके शिष्य थे. बाबाश्री के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की.

16 गलत आदतें छुड़वाने के लिए चलाया निर्विकार पथ
बाबाश्री ने लोगों को 16 गलत आदतें छुड़वाने के लिए निर्विकार पथ चलाया था. वे सभी को  निर्विकार पथ पर चलने का संदेश देते थे. उनके साथ हजारों की संख्या में लोग जुड़ते चले गए, बाबा के अनुयायी प्याज, लहसुन तक का सेवन नहीं करते थे. उनके आश्रम में रहकर लोगों का नशा भी छुड़वाया जाता था.

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नर्मदा भक्ति में रमने के बाद त्यागा गृहस्थ जीवन
बाबाश्री का पूरा नाम बालमुकुंद चौरसिया था. वे जबलपुर के आइटीआई में सरकारी नौकरी करते थे. कई सालों तक नौकरी करने के बाद वे नर्मदा भक्ति में रम गए और नौकरी छोड़कर नर्मदा किनारे तपस्या करने लगे. खास बात यह है कि संन्यासी जीवन में आने के बाद बाबाश्री ने कभी अन्न नहीं खाया. बताया जा रहा है कि वह पिछले कई दिनों से पानी भी नहीं पी रहे थे. जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन गुरूवार की रात उन्होंने देह त्याग दी.

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शुक्रवार को नर्मदा किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया. बाबाश्री के अंतिम संस्कार में उनके शिष्य केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, उनके भाई बीजेपी विधायक जालम सिंह पटेल और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी शामिल हुए.

11 फीट से ज्यादा लंबी थी बाबाश्री की जटाएं 

उनकी लंबी जटाएं सभी को आकर्षित करती थीं. 11 फीट से ज्यादा लंबी जटाएं होने के चलते उनका नाम दो बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल गया था. गोटेगांव के सिद्धघाट स्थित आश्रम में बाबाश्री का जन्मोत्सव 27 दिसंबर को उनके अनुयायियों ने धूमधाम से मनाया था. 

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