गर्ल्स हॉस्टल में बच्चियों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही थी, वहां अब 30 बेड का कोविड केयर सेंटर स्थापित किया जाएगा. यहां उन मरीजों का इलाज होगा, जिनकी स्थिति गंभीर नहीं है.
नेकी की यह पहल रतलाम जिले में देखने को मिली. यहां दारुल उलूम आयशा सिद्दीका लीलबनात मदरसा है, जहां बच्चों को ऊर्दू के साथ ही स्कूल में पढ़ाई जाने वाली सभी प्रकार की शिक्षा दी जाती है. यहां हर धर्म की बेटियों के लिए गर्ल्स हॉस्टल संचालित किया जाता है, जहां उन्हें निशुल्क शिक्षा दी जाती है. उसी को अब 30 बेड के कोविड केयर सेंटर के रूप में स्थापित किया जाएगा. जहां कम गंभीर मरीजों का इलाज होगा.
मदरसे के गर्ल्स हॉस्टल को ही कोरोना मरीजों के लिए कोविड सेंटर के रूप में स्थापित करेंगे. 30 बेड के इस हॉस्पिटल में बेड के साथ ही ऑक्सीजन व्यवस्था व कोरोना मरीजों के इलाज में लगने वाले सभी उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी. दो धर्म की सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित इस सेंटर में हर धर्म के मरीजों का इलाज होगा.
इस काम में मदरसा कमेटी और लायंस क्लब मिलकर आगे आए और उन्होंने कोरोना से जंग के लिए इस सेंटर को तैयार करने की ठानी. आयशा सिद्दीकी गर्ल्स हॉस्टल के संचालक मोहम्मद परवेज ने बताया कि मानवता पर संकट की इस घड़ी से निपटने के लिए लायंस क्लब और मदरसा कमेटी ने मिलकर सहयोगी संस्था बनाई.
समाज सेविका व कांग्रेस नेत्री यासमीन शेरानी ने बताया कि मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए सेंटर बनाया जा रहा है. जिला प्रशासन के सहयोग से इस केंद्र को बनाया जाएगा, कलेक्टर को भी इस बारे में जानकारी दी गई है. कोविड गाइडलाइन और नियमों के तहत ही सेंटर को बनाया जाएगा और प्रशासन का सहयोग लेकर सारी सुविधाएं स्थापित की जाएंगी.
कलेक्टर को बताया गया है कि कोविड सेंटर में 20 नर्स, व कुछ डॉक्टरों का स्टाफ रहेगा. गरीबों को निशुल्क इलाज के साथ ही दवा व भोजन की व्यवस्था भी की जाएगी. जो इलाज का खर्च उठा सकता है, केवल उन्हीं से पैसा लिया जाएगा, इसके अलावा सारा खर्चा अस्पताल प्रबंधन द्वारा उठाया जाएगा. बेड लग गए हैं, ऑक्सीजन सिलेंडर आ चुके हैं, कुछ उपकरण बाकी है, उनके आते ही कोविड सेंटर को शुरू कर दिया जाएगा. मरीजों को यहां 24 घंटे इलाज की सुविधा मिलेगी.
लायंस क्लब के राजकमल जैन ने बताया कि कोरोना की भयावह स्थिति को देख मदरसा कमेटी के साथ मिलकर संस्था बनाई. यहां उन्हीं मरीजों का इलाज होगा, जो गंभीर नहीं है, जिन्हें तत्काल इलाज देकर स्वस्थ किया जा सके. जिला प्रशासन के सहयोग से नियमानुसार ही कोविड सेंटर शुरू होगा.
लोगों की मदद करने में यह मदरसा हमेशा ही आगे रहा, इससे पहले साल 2019 में मदरसा कमेटी ने बेटियों के लिए एक पहल शुरू की थी. तब बेटियों को दाखिला देना शुरू हुआ, यहां ऊर्दू के साथ ही हिंदी और अंग्रेजी भाषा भी सिखाई जा रही है. कम्प्यूटर कोर्स करवाकर बेटियों को आधुनिकता की जानकारी दी जाने लगी. मदरसे में पांचवी कक्षा तक पढ़ाई को मान्यता दी गई, स्कूल शुरू होते ही हर समाज की बेटी को दाखिला देकर पढ़ाना भी शुरू किया गया. लेकिन लॉकडाउन के कारण पढ़ाई बंद है, बावजूद उसके कोरोना मरीजों का इलाज तो हो ही सकता है.
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