Chanderi Fort: चंदेरी अपनी साड़ी, जैन मंदिरों और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है. अशोकनगर जिले में पड़ने वाले इस शहर में कई ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं, लेकिन चंदेरी का किला जौहर और युद्ध की अपनी कथाओं के चलते प्रसिद्ध है. बाबर से लेकर बुंदेली राजाओं तक और शेर शाह सूरी से लेकर अंग्रजों तक सबकी सूची में चंदेरी रहा है. तो आइए जानते हैं इस किले की कहानी जिसको पाने के लिए इतिहास में इतना खून बहाया गया है.
मालवा और बुंदेलखंड की सीमा पर बसा चंदेरी खूनी इतिहास की कहानी कहता है. शहर में 71 मीटर ऊंची पहाड़ी पर चंदेरी का किला बना हुआ है. यह शिवपुरी से 127 किलोमीटर और ललितपुर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है.
5 किलोमीटर लम्बा और 1 किलोमीटर चौड़े इस किले को बुन्देला राजपूत राजाओं ने बनवाया था. यह किला उनकी स्थापत्य कला की अद्भुत मिशाल है. इस किले को बनाने के लिए पहाड़ी काटी गई थी.
किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजा कहा जाता है. इस दरवाजे से युद्ध के अपराधियों को ऊपर से फेंक दिया जाता था. यही नहीं अपराधियों को यहीं फांसी की सजा दी जाती थी. इस दरवाजे को ये नाम यहीं से मिला है.
किले का दूसरा द्वार 'हवा पुर' है जो किले का तीसरा और सबसे ऊंचा दरबाजा है. इसकी प्राचीरों पर खड़ा व्यक्ति दूर से ही दुश्मन को देख सकता है. किले में एक द्वार और है जिसे 'कटी-घाटी' कहा जाता है.
किले में जौहर स्मारक भी है. यहां चंदेरी की रानी मणिमाला ने अपनी 1600 वीरांगनाओं के साथ जौहर कर किया था, पर बाबर की सेना के हाथ नहीं आई थीं. इसी बलिदान की याद में 29 जनवरी को हर साल जौहर दिवस मनाया जाता है.
इतिहासकार बताते हैं कि रानी का जौहर देखकर हमलावर बाबर भी हैरान रह गया था. बाबर की चौथी बीवी दिलावर बेगम तो यह मंजर देख बेहोश ही हो गई थी. क्षेत्रीय बताते हैं कि जौहर की आग 15 कोस दूर से भी देखी गई थी.
जौहर से पहले रानी ने अपनी 1600 सखियों को मंदिर से संबोधित किया था. उनके शब्द चंदेरी के किस्से कहानियों में अमर हो गए हैं. रानी ने हुंकार भरते हुए कहा था कि बहनों हम हर हाल में जीते हैं, लेकिन पति से अलग होकर हम नहीं जी सकते. पति के उठते पैरों पर ही हमें कदम रखना है. हमारा पति से शरीर का संबंध नहीं,बल्कि आत्मा का संबंध है.
जिन बैजू बावरा को लेकर कहा जाता है कि वे गायन से दिए जला सकते हैं, पानी गिरा सकते हैं और फूल खिला सकते हैं उनकी कब्र भी किले में मौजूद हैं.
किले के अलावा शहर में कोशक महल, परमेश्वर ताल, जामा मस्जिद, ईसागढ़ जैसी जगहें भी स्थित हैं. यहां आप महल घूमने के बाद घूम सकते हैं.
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