Jhiram Ghati Naxal Attack: देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम हत्याकांड की आज 11वीं बरसी है. आज से ठीक 11 साल पहले 25 मई 2013 को बस्तर जिले की झीरम घाटी में देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ था. इस नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई नेताओं की हत्या कर दी गई थी.
25 मई 2013 को बस्तर जिले की झीरम घाटी में किए गए देश के दूसरे सबसे बड़े नक्सली हमले को 11 साल हो गए हैं. छत्तीसगढ़ के लिए यह घाव आज भी उतना ही हरा है, जितना 11 साल पहले था. यह हत्याकांड इतना वीभत्स और दिल दहला देने वाला था कि इसे देखकर पूरा देश कांप उठा था.
झीरम घाटी की घटना छत्तीसगढ़ के लिए कभी न भरने वाले घाव की तरह है. 11 साल बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है. कांग्रेस ने इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया है.
छत्तीसगढ़ में 2013 के अंत में विधानसभा चुनाव होने थे. पिछले दो बार से बीजेपी की सरकार थी. 10 साल तक सत्ता से दूर रही कांग्रेस पूरी ताकत लगाना चाहती थी. 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था.
25 गाड़ियों में करीब 200 लोग सवार थे. काफिले में कांग्रेस नेता कवासी लखमा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेंद्र कर्मा, मलकीत सिंह गैदू और उदय मुदलियार समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता शामिल थे.
शाम 4 बजे के करीब जैसे ही काफिला झीरम घाटी से गुजरा तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता बंद कर दिया. इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता पेड़ों के पीछे छिपे नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.
करीब डेढ़ घंटे तक गोलियां चलती रहीं. इसके बाद नक्सलियों ने एक-एक वाहन की जांच की. जो लोग अभी भी सांस ले रहे थे उन्हें फिर से गोली मार दी गई. जिंदा लोगों को बंधक बना लिया गया. हमले में 32 से ज्यादा लोगों की मौत हो हुई.
बताया जाता है कि नक्सलियों का मुख्य निशाना बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नक्सलियों ने कर्मा को करीब 100 गोलियां मारी थीं और चाकू से शरीर को पूरी तरह से टुकड़े-टुकड़े कर दिया था.
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