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kishore kumar birthday: किशोर कुमार के पुश्तैनी घर की तस्वीरें, जर्जर बंगला कब ढह जाए पता नहीं

हिंदी फिल्म इतिहास के हरफनमौला गायक, अभिनेता-निर्माता किशोर कुमार की आज 92वीं जयंती है. बांबे बाजार स्थित जर्जर हो चुका उनका पुश्तैनी घर (बंगला) अपनी उम्र को पार कर चुका है. यह कब ढह जाए, पता नहीं.

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जी हां, आज यानी 4 अगस्त को किशोर कुमार (kishore kumar) का जन्मदिन (birthday) है. वो किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, उनका जन्म मध्य प्रदेश के खण्डवा शहर में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में खण्डवा को याद किया, वे जब भी किसी सार्वजनिक मंच पर या किसी समारोह में अपना कर्यक्रम प्रस्तुत करते थे, शान से कहते थे किशोर कुमार खण्डवे (kishore kumar khandwe wale) वाले, अपनी जन्म भूमि और मातृभूमि के प्रति ऐसा जज्बा बहुत कम लोगों में दिखाई देता है.

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आज हम आपको खंडवा में उनके घर के अंदर लिए चलते हैं, जिसे देखकर आपको यकीन नहीं होगा कि यह उस शख्सियत का घर है जिसका गाना जुबान पर आते ही आप और हम गुनगुनाने लग जाते हैं... देखिए गौरीकुंज उर्फ गांगुली हाउस घर की कुछ तस्वीरें... 

 

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मातृमभूमि खंडवा में बाम्बे बाजार स्थित गौरीकुंज उर्फ गांगुली हाउस (Gaurikunj Ganguly House) जिसमें किशोर पैदा हुए, पले-बढ़े, जहां से निकल वो एक बड़े कलाकार बने उसकी दुर्दशा सभी के सामने है. हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (pakistan) में बॉलीवुड (हिंदी सिनेमा) के महान कलाकार दिलीप कुमार (dilip kumar) और राज कपूर (raj kapoor) के खंडर घरों को संवारने के कदम बढ़ाने की खबर के बाद अब खंडवा से मांग उठ रही है कि किशोर कुमार के घर को भी सरकार संवारने के लिए तवज्जों दे. शहर समय-समय पर मांग करता रहता है कि जब पाकिस्तान में हमारे सितारों के घर संवर रहे हैं तो हमारे किशोर कुमार की विरासत के साथ ये भेदभाव क्यों हो रहा है?

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ये हैं सीताराम काका, जो बीते 40 साल से किशोर दा के मकान की चौकीदारी कर रहे हैं. काका कहते हैं- साहब (किशोर कुमार) बचपन से ही फक्कड़-अलमस्त थे. मेरी आधी जिंदगी इस घर की चौकीदारी में निकल गई. किशोर कुमार यहां जब भी आते थे, मुझे कहते थे- सीतारामजी.. दूध-जलेबी खाना है. काका बताते हैं पहले मुझे चौकीदारी के लिए किशोर कुमार के घर से हर महीने पैसे मिलते थे, लेकिन अब वो भी बंद हो गए है.

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आपको बता दें कि किसी कलाकार को मृत्यु उपरांत इतना सम्मान नहीं मिला, जितना खंडवा में किशोर कुमार को मिला है. और यही कारण है कि उनके पुश्तैनी बंगले को गिरता देख किशोर प्रेमियों की आंखें छलक आती हैं. बदहाल अवस्था में पड़े घर की सुध लेने वाला कोई नहीं...

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तकरीबन सौ साल से भी ज्यादा के हुए इस मकान की हालत अब ऐसी नहीं है कि इसके अंदर भी जाया जा सके. प्रवेश तो सुरक्षा के नजरिए से बंद है ही. 

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घर के अंदर कदम-कदम पर एक अजीब डर का माहौल रहता है, यहां कब किस आहट पर आपके साथ दुर्घटना हो जाए कोई कह नहीं सकता.. ये वो सीढ़ियां हैं जो घर के ऊपर जाती हैं, लेकिन इन सीढ़ियों पर पैर रखकर ऊपर जाने की हिम्मत नहीं होगी.

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किशोर दा के चौकीदार सीताराम सावनेर इस मकान की चौकीदारी वर्षो से कर रहे हैं. चौकीदार सीताराम काका ने किशोरदा के मकान की आगे की दीवार को 4 अगस्त की पूर्व संध्या पर पुताई का कार्य करवाया. 

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वहीं समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि किशोरदा के परिजनों के जाने के बाद परिजनों ने मकान की चिंता नहीं की और लगातार यह मकान जर्जर होता जा रहा है. उनका कहना था कि जब पाकिस्तान की सरकार हिंदुस्तानी कलाकारों की विरासतों के लिए संजो सकती है तो हम अपने कलाकारों की कर्मभूमि के लिए हिम्मत क्यों नहीं जुटा सकते? समाजसेवी कहते हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खंडवा दौरे पर आएंगे तो उनसे यह मांग हम फिर करेंगे. 

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छत पर जंगली पौधों ने डेरा डाल लिया है, जो अब पक्षियों का घर बनकर रह गया है.