पिता बद्रीलाल ने बताया कि बचपन से बेटी को पेंटिंग का शौक था, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया और उसे पेंटिंग करने से रोका. उन्हें लगा कि शायद पेंटिंग करने से वह पढ़ाई में पीछे रह जाएगी. उनके रोकने के बावजूद मीनाक्षी ने पेंटिंग जारी रखी और आज उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.
मीनाक्षी को बचपने से पेंटिंग का शौक रहा, स्कूल में पेंटिंग करने के बाद उन्होंने कॉलेज विषयों के रूप में भी पेंटिंग को ही चुना. कई सालों तक इसे जारी रखने के बाद भी उनके नाम कोई खास उपलब्धि नहीं थी. लेकिन उन्होंने हताश होने के बजाय कला को नए रूप में प्रेजेंट किया और 25 पैसों के सिक्कों पर 37 महापुरुषों की पेंटिंग बना कर नया रिकॉर्ड स्थापित किया.
25 पैसे के छोटे सिक्कों पर चेहरे बनाना, फिर उनमें रंग भरना चुनौतीपूर्ण था. लेकिन पेंटिंग शुरू करते ही वह एक के बाद एक चेहरे बनाते चली गईं. इन पेंटिंग्स में महात्मा, गांधी, भगत सिंह, इंदिरा गांधी, एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, स्वामी विवेकानंद और तात्या टोपे जैसी हस्तियों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा भी शामिल है.
उन्होंने 25 पैसे के 37 सिक्कों पर पेंटिंग की और इंडिया के साथ ही एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए अप्लाई किया. दोनों में ही मीनाक्षी के रिकॉर्ड को चुना गया. साथ ही उन्हें सर्टिफिकेट और मेडल से भी नवाजा गया. मीनाक्षी भोपाल में आयोजित युवा उत्सव और विक्रम यूनिवर्सिटी में भी सम्मानित हो चुकी हैं.
मीनाक्षी ने अपनी पेंटिंग के हुनर को कागज पर उतारने के बाद कैनवास और कपड़ों पर भी ट्राई किया. उन्होंने टायरों पर आकृतियां बनाने के साथ ही पत्थरों को भी आकर्षक तरीके से सजाया. वह रिवर्स पेंटिंग भी कर लेती हैं, उन्होंने बताया कि वह इसी क्षेत्र में आगे और काम करना चाहती हैं. विश्व रिकॉर्ड के लिए उन्हें 5 मिनट में 25 सिक्कों पर पेंटिंग करनी थी. जबकि उन्होंने 4 मिनट 36 सेकंड में ही यह रिकॉर्ड बना लिया.
मीनाक्षी के पिता मूंदड़ी गांव में ही खेती संभालने के साथ अनाज का व्यापार करते हैं. उनके पिता बद्रीलाल ने बताया कि बचपन से बेटी को पेंटिंग का शौक था, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया और उसे पेंटिंग करने से रोका. उन्हें लगा कि शायद पेंटिंग करने से वह पढ़ाई में पीछे रह जाएगी. उनके रोकने के बावजूद मीनाक्षी ने पेंटिंग जारी रखी और आज उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.
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