Pulwama Martyr: दो साल पहले शहीद हुए अश्विनी का परिवार ने बनवाया मंदिर, करते हैं पूजा
खुड़ावल गांव में 3 हजार लोग रहते हैं, जहां अब तक 100 से ज्यादा जवान देश सेवा करने के लिए सेना में भर्ती हो चुके हैं. अभी भी गांव से 30 जवान सीमा पर मौजूद हैं.
जबलपुरः Pulwama Attacks: 14 फरवरी, दुनियाभर में वैलेंटाइन डे के नाम से मशहूर इस दिन को भारत में ब्लैक-डे के रूप में देखा जाता है. इसकी वजह है दो साल पहले आज ही के दिन पड़ोसी देश से आए कुछ आतंकियों द्वारा किया गया निंदनीय हमला. जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पुलवामा में आतंकी द्वारा किए गए आत्मघाती हमले ने जवानों से भरी गाड़ी को निशाना बनाया. इस कायरता पूर्ण हमले में देश के 45 वीर सपूत शहीद हो गए. उन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में रहने वाले अश्विनी काछी भी थे.
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गांव के हर दसवें परिवार में एक जवान
जबलपुर जिले का खुड़ावल गांव जवानों की धरती भी कहा जाता है. जहां गांव के हर दसवें परिवार से एक व्यक्ति सेना में भरती होकर देश सेवा कर रहा है. पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुआ अश्विनी गांव के कई जवानों में से एक था. वह दुनिया तो छोड़ गया, लेकिन पूरे गांव का गौरव बढ़ा गया. शहीद के पिता सुकरू काछी बताते हैं कि उनके दिल में बेटे की मौत का दर्द आज भी है.
परीक्षा में हुए फेल, लेकिन नहीं हारी हिम्मत
अश्विनी के पिता बताते हैं कि सेना में भर्ती होना ही उनके बेटे का एकमात्र लक्ष्य रहा. वह सेना में भर्ती की मेडिकल परीक्षा में फेल हो गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. वह हमेशा अपने आप में सुधार करता रहा. नतीजा यह रहा है कि 2017 में वह सेना में शामिल हो कर ही माना. पिता ने बताया कि उनका बेटा आज उनके पास नहीं है, लेकिन शहीद होकर वह उन्हें वो इज्जत दे गया जो उन्हें जीवन में शायद फिर कभी नहीं मिलेगी.
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मंदिर में होती है शहीद की पूजा
शहीद के घरवालों ने घर के अंदर ही एक मंदिर बना कर भगवान की जगह अश्विनी की फोटो रख दी. मंदिर में शहीद से जुड़ी यादों को सहेज कर रखा गया, शहीद की वर्दी के साथ ही उस तिरंगे को भी संभाल कर रखा है जिसमें लपेटकर पार्थिव शरीर घर लाया गया था. परिवार ने अश्विनी से जुड़ी हर एक चीज को सहेज कर रखा है.
3 हजार की आबादी वाले इस गांव में 100 से ज्यादा जवान
छोटे से खुड़ावल गांव में 3 हजार लोग रहते हैं, जहां अब तक 100 से ज्यादा जवान देश सेवा करने सेना में भर्ती हो चुके हैं. अभी भी गांव से 30 जवान सीमा पर मौजूद हैं. गांव के राजेंद्र प्रसाद साल 2006 में बालाघाट नक्सली हमलों में शहीद हुए थे, उनके बाद साल 2016 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए आतंकी हमले में जवान रामेश्वर लाल ने वीरगति प्राप्त की. उनके बाद साल 2019 में अश्विनी काछी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद गांव के तीसरे वीर शहीद हुए.
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