Valentine's Day 2024: जब प्यार का रंग किसी पर चढ़ता है, तो न वह गरीबी देखता और न अमीरी. क्योंकि प्यार का एहसास होता ही ऐसा है जिसमें इंसान सबकुछ भूल जाता है. वैलेंटाइन डे (Valentine Day) के मौके पर हम आपको इश्क की ऐसी ही एक दास्तां से रूबरू कराने जा रहे हैं.
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Valentine's Day 2024: जब प्यार का रंग किसी पर चढ़ता है, तो न वह गरीबी देखता और न अमीरी. क्योंकि प्यार का एहसास होता ही ऐसा है जिसमें इंसान सबकुछ भूल जाता है. वैलेंटाइन डे (Valentine Day) के मौके पर हम आपको इश्क की ऐसी ही एक दास्तां से रूबरू कराने जा रहे हैं. ये कहानी उस वक्त शुरू हुई थी, जब दुनिया में प्यार के एहसास को बयां करने के लिए वैलेंटाइन डे जैसे पर्व भी नहीं थे. लेकिन प्यार का जादूई एहसास तब भी लोगों को दीवाना बना देता था. यही वजह है कि इस मुकम्मल इश्क की खूबसूरत दास्तां आज भी याद की जाती हैं. यह कहानी है राजा मानसिंह और रानी गूजरी की, जिसकी शुरूआत मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और खूबसूरत शहर ग्वालियर (gwalior)से हुई थी.
ग्वालियर में बना गूजरी महल आज भी राजा मानसिंह (raja maan singh) और रानी गूजरी (gujari) के इश्क की दास्तां को बयां करता है. क्योंकि यह महल राजा मानसिंह ने अपनी प्यारी रानी गूजरी के लिए बनवाया था. इस महल के जर्रे-जर्रे में बसी खूबसूरती इस बात की तस्दीक करती है कि राजा मानसिंह अपनी रानी से कितना प्यार करता था. इस प्रेम कहानी की शुरूआत भी अनोखी है, क्योंकि यह कहानी इस बात की गवाही देती है कि जब कोई इंसान किसी के प्यार में पड़ता है तो उसे कुछ नहीं दिखता, कुछ ऐसा ही किया था राजा मानसिंह ने जिन्होंने अपना प्यार पाने के लिए जाति बंधन की दीवारें तोड़ दी थी.
जब गूजरी पर फिदा हो गए राजा मानसिंह
प्यार की इस कहानी की शुरूआत ग्वालियर से करीब 50 किलोमीटर दूर बसे राई गांव से होती है, एक बार राजा मानसिंह शिकार से लौट रहे थे, जब राई गांव से गुजरे तो उन्होंने देखा कि एक जंगली भैसा एक बच्चे पर हमला करने जा रहा था. तभी गूजर जाति की महिला जिसका नाम गूजरी था, उसने अपने एक ही वार से जंगली भैंसे को रोक दिया. जबकि वहां खड़े बहुत से लोगों की भैंसे को रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मृगनयनी की इस बहादुरी को देखकर राजा मानसिंह गूजरी पर फिदा हो गए. उन्होंने तुरंत गूजरी के सामने अपने इश्क का इजहार करते हुए उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे मृगनयनी ने स्वीकार तो किया, लेकिन सशर्त.
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मृगनयनी ने राजा के सामने रखी तीन शर्तें
गूजरी ने राजा मानसिंह से कहा कि वह उनसे विवाह करने के लिए तैयार है, लेकिन उसकी तीन शर्तें हैं, अगर उन शर्तों को पूरा कर दिया जाए. तो वह उनके साथ चलने तैयार है, राजा मानसिंह जो पहली ही मुलाकात में गूजरी को दिल दे बैठे थे, तो उन्होंने तीनों शर्ते मानने की बात कही.
गूजरी की पहली शर्त थी कि वह बचपन से ही अपने गांव में बहने वाली सांक नदी पानी पीती है, इसलिए उसे महल भी उसी नदीं का पानी मिलना चाहिए. गूजरी की दूसरी शर्त थी कि उसे रहने के लिए अलग महल का निर्माण करवाया जाए. रानी की तीसरी और आखरी शर्त उसकी बहादुरी की एक और मिसाल पेश करती है, जिसमें उसने राजा से मांगा कि युद्ध क्षेत्र में हमेशा राजा के साथ रहेगी.
राजा ने असंभव को किया संभव
राजा मानसिंह जो गूजरी के प्यार में दीवाने हो चुके थे, लिहाजा उन्होंने गूजरी की तीनों शर्तें मान लीं. लेकिन इन शर्तों को पूरा करना इतना आसान नहीं था, क्योंकि ग्वालियर का किला बहुत ऊंचाई पर बना था, जहां गूजरी के गांव से पानी लाना आसान नहीं था. लेकिन राजा ने अपने प्यार को पाने के लिए सत्रहवीं शताब्दी में वो काम किया जिसे आसान नहीं था. मानसिंह ने गूजरी के गांव से पानी के बहाव के विपरीत ऐसी पाइप लाइन बिछाई जो मैदानी इलाके से पहाड़ पर बसे किले तक पानी ले जाती थी.
गूजरी के लिए बनवाया अलग महल
इसके अलावा मानसिंह ने रानी गूजरी के लिए एक अलग ग्वालियर किले के नीचे एक अलग महल भी बनवाया जिसे उन्होंने नाम दिया गूजरी महल. खास बात यह है कि मानसिंह ने ग्वालियर के मुख्य किले से गूजरी महल तक एक सुरंग बनाई थी. क्योंकि मानसिंह किले से बाहर निकलते और प्रवेश करते वक्त गूजरी से जरूर मिलते थे. मानसिंह जब भी यहां से गुजरते तो रानी गूजरी उनका स्वागत करती थीं. इसलिए महाराजा मान सिंह तोमर के महल से एक सुरंग सीधे नीचे गूजरी महल तक बनाई गई थी. इसी सुरंग के जरिए महाराजा मान सिंह तोमर गूजरी रानी से मिलने आया करते थे.
मानसिंह ने गूजरी को दिया मृगनयनी नाम
खास बात यह है कि राजा मानसिंह और रानी गूजरी के इस प्यार की दुश्वारियां यहां तक ही सीमित नहीं थीं, उसके गूजर होने की वजह से महल में उनके प्यार का विरोध भी हुआ था. क्योंकि जातिप्रथा से जकड़े समाज में राजदरबार के लोग इसके लिए राजी न थे कि एक गूजर महिला उनकी रानी बने, लेकिन दुनियावी बंधनों में जो बंध जाए वो प्यार ही क्या. राजा मानसिंह ने इन सारे विरोधों को दरकिनार कर गूजरी से विवाह किया. विवाह के बाद गूजरी को जब अपनी रानी बनाया तो उन्होंने उसे एक नया नाम दिया मृगनयनी, लेकिन उन्होंने उसके महल का नाम गूजरी महल ही रहने दिया, ताकि दोनों नाम से उसकी पहचान होती रहे. राजा मान सिंह और रानी मृगनयनी ने मिलकर प्रेम के इतिहास में प्यार की वो सुनहरी दास्तान लिख दी, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है.
ग्वालियर में बना गूजरी महल आज भी इस अनोखी मुक्कमल इश्क की कहानी कहता नजर आता है. आज यह महल संग्रहालय में तब्दील हो चुका है, लेकिन यहां पहुंचने वाले पर्यटक आज भी सदियों पुरानी इस अमर प्रेम कहानी की से रूबरू होते हैं.