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राहुल राठौड़/उज्जैन: अहमदाबाद में हुए ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट ने 38 आतंकियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई है. 2001 में बैन हुए सिमी के अध्य्क्ष रहे सफदर के साथ आतंकी आमिर परवेज व सफदर के भाई कमरुद्दीन नागौरी को भी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी महाकाल की नगरी उज्जैन का रहने वाला है. यहीं से उसने सिमी की शुरुआत की थी. पढ़ाई के दौरान ही उसने शोध पत्र के जरिए अपने बगावती मंसूबे जाहिर कर दिए थे. जिसे पढ़कर प्रोफेसरों के होश उड़ गए थे और बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. जानिए आतंकी सफदर नागौरी के बारे में....!
जानिए कौन हैं सफदर,आमिल और कमरुद्दीन जिसने उज्जैन को बनाया सिमी का गढ़!
1. सिमी का अध्यक्ष कहे जाने वाले सफदर नागौरी उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील का रहने वाला है. सफदर ने 1999 में विक्रम विश्वविद्यालय से मास्टर इन जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की और वर्ष 2000 में ''बर्फ की आग कब बुझेगी'' नाम से कश्मीर मुद्दे पर एक विवादित शोध-पत्र लिखी थी. सफदर के पिता पुलिस विभाग की क्राइम ब्रांच में एएसआई के पद पर पदस्थ थे, लेकिन सफदर की हरकतों के चलते उन्होंने उस से रिश्ता तोड़ लिया था. सफदर ने उज्जैन में सिमी की नींव रख पूरे मालवांचल समेत देशभर में आतंक की जड़ें फैला दी थी. विशेष समुदाय के कम पढ़े-लिखे वह लोग जो प्लंबर, मजदूर, मैकेनिक, टेलर जैसा काम करते हैं, उनका ब्रेनवाश कर उनके दिमाग में भी सफदर ने जिहाद भर दिया था. बताया जाता है सफदर नागौरी के निर्देशन में इंदौर जिले के एक फॉर्म हाउस पर केरल, झारखंड कर्नाटक के सिमी के सदस्य आए थे. जहां फिजिकल एक्साइज हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती थी. सफदर के ही निर्देशन में सिमी की महिला शाखा ''शाइन फोर्स'' भी बनाई गई थी. जिसमें महिलाओं को बुलाया गया था.
2. दूसरा आतंकी सफदर का भाई कमरुद्दीन था
कमरुद्दीन नागौरी जिसका पूरा नाम कमरुद्दीन चांद मोहम्मद नागौरी है. उसे सफदर ने आंध्र प्रदेश की सीमा का चीफ बना दिया था. कमरुद्दीन एक प्रदेश में चीफ रहते हर प्रदेशों में सिमी सदस्य को बनाने का काम करता रहा. कमरुद्दीन को 26 मार्च 2008 को इंदौर में गिरफ्तार किया गया. जिससे कई साजिशों का पता चला था. 2017 में इंदौर सीबीआई कोर्ट ने कमरुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सफदर जब साबरमती जेल में बंद था और साथियों की मदद से जेल में 213 फीट लंबी सुरंग भी सफदर ने बनाई इसके बारे में पता चलने पर कई आला अधिकारी सकते में आ गए थे. बताया जाता है कि साबरमती जेल से सुरंग के जरिए फरार होकर लक्षद्वीप जाता और वहां से पाकिस्तानी सेना की मदद से दुबई भागने की फिराक में था.
3. तीसरा आतंकी आमिल परवेज
आमिल परवेज उज्जैन जिले के उन्हेंल तहसील का निवासी है. आमिल का उन्हेंल के छोटा बाज़ार स्थित एक मकान है. फिलहाल आमिल के मकान में कोई नहीं रहता सिर्फ ताला लटका है. आमिल का परिवार लंबे समय तक यहां रहा और आमिल आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा. जिसके बाद अब आमिल को भी फांसी की सजा सुनाई गई.
उज्जैन में दिया ऊर्दू में भाषण
सफदर नागौरी को और उसके साथियों को सबसे पहले उज्जैन कोर्ट ने सजा दी थी. ऐसा बताया जाता है कि सफदर ने उज्जैन से ही आतंकी सोच को उसने पूरे देश भर में फैलाया. सबसे पहला केस उज्जैन के थाना महाकाल में सफदर और उसके साथियों के खिलाफ दर्ज हुआ. सफदर ने शहर के तोपखाना क्षेत्र में 1997 में एक तकरीर की थी. जिसमें पाक से भी कुछ लोगों के आने की संभावना पुलिस सूत्रों को मिली थी. तकरीर से पहले पुलिस मौके पर पहुंची और सफदर नागौरी ने उर्दू में भाषण देना शुरू किया था. उसके हर शब्द को पुलिस ने हिंदी में कन्वर्ट कर एक पेज पर लिखवा लिया. जिसमें पाया कि सफदर ने कहा "जिस तरह बकरी व हिरण शेर की खुराक होते हैं, ठीक उसी तरह यह काफिर हमारी खुराक है" बस इसी बात को पुलिस ने नोट कर शब्द और उसके साथियों पर उपद्रव वह भड़काऊ भाषण की धारा 153 क के तहत पहली बार केस दर्ज किया जिसके बाद सजा भी दी गई.
पुलिस सूत्रों की माने तो
बताया जाता है कि एटीएस लगातार उज्जैन की हर गतिविधि पर नजर रखी हुई थी. 31 दिसंबर 2014 को सूचना मिली एटीएस को कि देशभर में फिर धमाके की तैयारी में है. सफदर के निर्देशन में साथियों ने जिलेटिन की छड़ों से बड़ी मात्रा में बम तैयार किए है. सफदर का खास माने जाने वाली जावेद नागौरी का नाम उसमें सामने आया था. 31 की रात महिदपुर में नागौरी मोहल्ला में एटीएस ने दबिश दी. जहां से 4 ड्रम बम के साथ जावेद समेत आदिल परवेज, अजीज उर्फ अज्जू समेत उसके साथियों को पकड़ा. जिन्होंने पूछताछ में बताया था कि खंडवा जेल में बंद अबू फैजल समेत अन्य आतंकियों को छुड़ाने की तैयारी है और देशभर में बम ब्लास्ट करना चाहते हैं. संभवतः इसी बड़ी कार्रवाई के बाद सक्रिय सदस्यों की कमर पुलिस ने तोड़ दी थी, और उसके बाद आज तक कोई बड़ी गतिविधि उज्जैन में नजर नहीं आई.
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