Sidhi Bus Accident: जाम से बचने बस ड्राइवर ने लिया शॉर्ट कट, दर्दनाक हादसे में गई 45 की जान
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Sidhi Bus Accident: जाम से बचने बस ड्राइवर ने लिया शॉर्ट कट, दर्दनाक हादसे में गई 45 की जान

कमलेश्वर सिंह बस के मालिक बताए जा रहे हैं, बस की फिटनेस 2 मई 2021 तक और परमिट 12 मई 2025 तक की थी. इसे रद्द कर दिया गया है. 

मध्य प्रदेश के सीधी में एक यात्री बस बाणसागर नहर में जा गिरी, इसमें 60 के करीब पैसेंजर सवार थे.

सीधी: मध्य प्रदेश के सीधी में हुए भीषण सड़क हादसे में बस ड्राइवर की गलती निकलकर सामने आ रही है. पुलिस की मानें तो ड्राइवर ने नियमित रूट पर लगने वाले जाम से बचने के लिए शॉर्ट कट रास्ता चुना था, जो नहर के किनारे से होकर गुजरता है. यह रास्ता काफी संकरा और जोखिम भरा है, फिर भी ड्राइवर ने यात्रियों की जान से खिलवाड़ करते हुए बस को इसी रूट से ले जाने की ठानी. नतीजा यह हुआ कि बस का नियंत्रण बिगड़ा और वह बाणसागर नहर में जा गिरी.

जाम लगने पर ड्राइवर ने बदला था रास्ता
पुलिस ने बताया कि बस में 32 लोगों के ही बैठने की क्षमता थी, लेकिन इसमें करीब 60 यात्रियों को भरा गया था. सीधी से निकलते के बाद छुहिया घाटी से होते हुए बस को सतना तक जाना था. झांसी-रांची स्टेट हाईवे की सड़क खराब और अधूरी है, इस कारण यहां आए दिन जाम लग जाता है. ड्राइवर ने इसी कारण रास्ता बदल लिया था. नहर से खबर लिखे जाने तक 45 शव बरामद किए गए थे, 6 यात्रियों को नहर से सरक्षित बाहर निकाला गया था. 

Sidhi Road Accident: यात्रियों से भरी बस नहर में गिरी, 38 की मौत, सवार थे 60 यात्री

जबलानाथ परिहार ट्रेवल्स की बस नंबर MP 19P 1882 को 12 बजे करीब क्रेन की मदद से नहर से बाहर निकाल लिया गया.  इस भीषण सड़क हादसे में मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. कमलेश्वर सिंह बस के मालिक बताए जा रहे हैं, बस की फिटनेस 2 मई 2021 तक और परमिट 12 मई 2025 तक की थी. इसे रद्द कर दिया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के परिवार वालों को 5-5 रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है. इस हादसे के कारण आज होने वाली कैबिनेट बैठक को निरस्त कर दिया गया है. 

इससे पहले भी हो चुके हैं कई भीषण हादसे
सीधी-सतना के इस मार्ग पर अब तक 3 बड़े हादसे हो चुके हैं. पहला हादसा साल 1988 में हुआ था. जब लिलजी बांध में बस जा गिरी थी. उस हादसे में 88 यात्रियों की मौत हुई थी. इसके बाद दूसरा हादसा 18 नवंबर 2006 में हुआ था जब यात्रियों से भरी एक बस गोविंदगढ़ तालाब में गिर गई थी, इस दुर्घटना में 68 यात्रियों की मौत हुई थी. सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर जब इस रास्ते पर जोखिम का अंदाजा था, पहले भी हादसे हो चुके थे तो ड्राइवर ने लोगों की जान से​ खिलवाड़ क्यों किया? साथ ही प्रशासन इस रूट पर भारी वाहनों को प्रवेश कैसे देता है.

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