इसके साथ ही शिवराज सरकार में सिंधिया का कद बढ़ गया है. उनके 11 समर्थक इस समय राज्य सरकार में मंत्री हैं. मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और भाजपा नेता राजभवन में मौजूद रहे.
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भोपाल. लंबे समय से चल रही अटकलों के बीच आखिरकार रविवार दोपहर 12:30 बजे शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने मंत्री पद की शपथ ली. कार्यकारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दोनों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसके साथ ही शिवराज कैबिनेट में कुल मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर 30 हो गई है. राज्य सरकार में कुल 35 मंत्रियों की जगह है. यानी कैबिनेट में 5 और मंत्री भविष्य में शामिल किए जा सकते हैं.
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इसके साथ ही शिवराज सरकार में सिंधिया का कद बढ़ गया है. उनके 11 समर्थक इस समय राज्य सरकार में मंत्री हैं. मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और भाजपा नेता राजभवन में मौजूद रहे. आपको बता दें कि मार्च 2020 में सिंधिया के साथ तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. कुल 22 विधायकों ने कांग्रेस से बगावत की थी और कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. बाद में ये सभी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे.
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सिलावट-गोविंद राजपूत शिवराज सरकार में दूसरी बार मंत्री बने
शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को फिर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. लेकिन 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य न बन पाने की वजह से उन्हें उपचुनाव के ठीक पहने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. दोनों ने उपचुनाव में जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे. अब एक बार फिर सिंधिया के इन दोनों विश्वासपात्रों को शिवराज सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया है.
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सिंधिया समर्थक 3 पूर्व मंत्रियों को उपचुनाव में करारी हार मिली
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर नवंबर में उपचुनाव हुए थे. रिजल्ट 10 नवंबर को जारी किया गया था. इन 28 सीटों में बीजेपी ने 19 और कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही शिवराज सरकार ने विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया था. सिंधिया समर्थक कई पूर्व मंत्रियों को उपचुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा था. इनमें सबसे प्रमुख नाम इमरती देवी का रहा.
पांच बार के विधायक सिलावट 1982 में पार्षद बने, पीसीसी उपाध्यक्ष रहे
तुलसी सिलावट वर्तमान में सांवेर से 5वीं बार विधायक चुने गए हैं. सिलावट 2018 में चौथी बार विधायक बने और कमलनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी दी गई. सिंधिया के समर्थन में उन्होंने मार्च 2020 में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया. शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर वह 5वीं बार विधायक बने.
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तुलसी सिलावट का राजनीतिक सफर
वह 1977 से 1979 तक इंदौर के शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज तथा 1980-81 में देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. 1982 में इंदौर में पार्षद बने. 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और उन्हें संसदीय सचिव की अहम जिम्मेदारी दी गई. 1995 में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने. इसके बाद 1998-2003 तक ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली. इस दौरान उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया. कांग्रेस ने 2007 के उपचुनाव में उन्हें फिर से टिकिट दिया और वह जीते, इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने सांवेर सीट से जीत की.
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चार बार के विधायक गोविंद सिंह राजपूत युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
गोविंद सिंह राजपूत वर्तमान में सुरखी विधानसभा सीट से विधायक हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार सुधीर यादव को हराया. उन्हें कमलनाथ सरकार में परिवहन और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी मिली. गोविंद राजपूत ने भी सिंधिया के समर्थन में मार्च 2020 में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा. शिवराज सरकार में उन्हें खाद्य और सहकारिता मंत्री बनाया गया. मंत्रिमंडल विस्तार में राजपूत को फिर से परिवहन और राजस्व विभाग दिया गया.
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गोविंद राजपूत का राजनीतिक सफर
छह माह की अवधि समाप्त होने के कारण उन्हें मंत्री पद से 20 अक्टूबर को इस्तीफा देना पड़ा था. राजपूत ने उपचुनाव में सुरखी सीट पर कांग्रेस की पारुल साहू को हराया और चौथी बार विधायक बने. वह मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. 2002 से 2020 तक प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और उपाध्यक्ष के पद पर रहे. उन्होंने 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता. उन्हें विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के सचेतक की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी थी. वह 2008 में सुरखी से दूसरी बार विधायक बने लेकिन 2013 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
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