उज्जैन के महाकाल मंदिर में 5 करोड़ की लागत से विकास कार्य किए जा रहे हैं और इसी के लिए जब महाकाल मंदिर में 20 फीट तक गहरी खुदाई शुरू की गई तो वहां से 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष मिलना शुरू हुए.
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अंशुल मुकाती/उज्जैन: महाकाल मंदिर की खुदाई में लगातार कई पुरानी मूर्तियां और अवशेष निकलकर सामने आ रहे हैं. जो कि भारत के प्राचीन इतिहास को भी दर्शाते हैं. उज्जैन के महाकाल मंदिर में 5 करोड़ की लागत से विकास कार्य किए जा रहे हैं और इसी के लिए जब महाकाल मंदिर में 20 फीट तक गहरी खुदाई शुरू की गई तो वहां से 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष मिलना शुरू हुए.
इतिहासकारों की मानें तो यह अवशेष परमार कालीन समय के हैं, जब महाकाल मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे. जिनका जिक्र अलग-अलग ग्रंथों में भी किया गया है. यह मूर्तियां लगभग 1000 वर्ष पुरानी बताई जा रही हैं. फिलहाल मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा महाकाल मंदिर के इन अवशेषों का निरीक्षण किया जा रहा है.
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विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के महाकाल मंदिर का इन दिनों चिन्नौदा चल रहा है जिसके लिए मंदिर के सामने की तरफ खुदाई की जा रही है. इसी खुदाई के दौरान कई प्रकार की मूर्तियां और दीवार निकल कर सामने आ रही हैं. महाकाल मंदिर के सामने वाले हिस्से में 5 करोड रुपए की लागत से वेटिंग हॉल के निर्माण का कार्य चल रहा है और उसके लिए 20 फीट तक खुदाई की जा रही है. इसी जगह पर दूसरी बार मूर्तियां और अवशेष मिले हैं.
उज्जैन के इतिहास विद और विक्रम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमण सोलंकी के मुताबिक यह सभी अवशेष परमार कालीन माने जा सकते हैं जो कि लगभग 1000 वर्ष पुराने होंगे. यह 1232 के समय के भी हो सकते हैं. जब दिल्ली के सुल्तान ने उज्जैन पर हमला किया था और मंदिर को नुकसान पहुंचाया था. ये उस वक्त के हो सकते हैं.
आपको बता दें कि पुरातत्व विभाग की टीम के मुताबिक पूरी रिपोर्ट तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को सौंपी जा रही है. हालांकि पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का मानना है कि खुदाई के कार्य को अब जानकारों की निगरानी में कराया जाना चाहिए. ताकि आने वाले दिनों में भी यदि इस प्रकार के अवशेष मिलें तो उन्हें सुरक्षित रखा जा सकें.
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