जांच में पता चला है कि आरोपी ने 8 साल पहले 3000 रुपए महीना से रोजगार सहायक की नौकरी शुरू की थी. जो कि अभी 9000 रुपए महीना तक पहुंची है.
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विदिशाः आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में लोकायुक्त ने रोजगार सहायक के यहां छापेमारी की है. इस छापेमारी में रोजगार सहायक के पास करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति मिली है. गौरतलब है कि आरोपी कर्मचारी की सैलरी महज 9 हजार रुपए महीना है. इतनी सैलरी में करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाने की लोकायुक्त द्वारा जांच की जा रही है.
8 साल में बनाई ये संपत्ति
लोकायुक्त की टीम ने छापेमारी कर विदिशा की लटेरी तहसील में पदस्थ रोजगार सहायक राजेंद्र सिंह यादव के यहां छापेमारी की है. इस छापेमारी में राजेंद्र सिंह यादव करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति का मालिक निकला है. छापेमारी में रोजगार सहायक के पास दो जेसीबी मशीन, एक लग्जरी कार, दो मकान, 32 बीघा जमीन और अन्य संपत्ति मिली है. एक रोजगार सहायक के यहां इतनी संपत्ति मिलने से लोकायुक्त की टीम भी हैरान रह गई है. गौरतलब है कि रोजगार सहायक पिछले 8 साल से ही नौकरी कर रहा है.
3000 रुपए महीना से की थी शुरुआत
जांच में पता चला है कि आरोपी ने 8 साल पहले 3000 रुपए महीना से रोजगार सहायक की नौकरी शुरू की थी. जो कि अभी 9000 रुपए महीना तक पहुंची है. रोजगार सहायक के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त की टीम पिछले महीने से ही उस पर नजर रखे हुए थी. जिसके बाद अब इंस्पेक्टर नीलम पटवा के नेतृत्व में लोकायुक्त की टीम ने रोजगार सहायक के ठिकानों पर छापा मारा. इस छापेमारी में रोजगार सहायक ढाई से तीन करोड़ रुपए की संपत्ति का मालिक मिला है. जिसमें दो मकान, 32 बीघा जमीन, सवा लाख रुपए नगद, एक लग्जरी कार, एक मोटरसाइकिल, दो जेसीबी मशीन जिनकी कीमत करीब 54 लाख और 48 लाख है, मिली हैं.
लोकायुक्त ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और बेनामी संपत्ति का पता लगाया जा रहा है.