मुंबई: संदेश पांडे महाराष्ट्र में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से नेत्रदान करने की अपने भाई की अंतिम इच्छा को पूरा नहीं कर सकने को लेकर दुखी है. उन्होंने इसके लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को जिम्मेदार ठहराया है. 


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औरंगाबाद के एक निवासी पांडे ने कहा, ‘अगर रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर नहीं होते तो मेरे भाई राजेंद्र की ऑंख को दान किया जा सकता था जिसकी 20 मार्च को मृत्यु हो गयी थी और जिससे कोई व्यक्ति इस दुनिया को देखने में सक्षम हो सकता था.’ 


20 मार्च को हुई मृत्यु 


दिल का दौरा पड़ने के बाद राजेंद्र की मृत्यु 20 मार्च को हो गयी थी, उसकी अपनी आंखों को दान करने की इच्छा थी. संदेश ने कहा, ‘मैंने अभी तक लगभग 50 लोगों के नेत्रदान करने की इच्छा पर पहल की है. हालांकि, मैं बहुत दुखी हूं कि रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से अपने भाई के मामले में ऐसा नहीं कर सका.’ 


एक डॉक्टर ने इसे करने की इच्छा की थी जाहिर 


पांडे ने बताया, ‘मेरे भाई के निधन के बाद हमने नेत्रदान की प्रकिया पूरा करने के लिए औरंगाबाद स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल गए. एक डॉक्टर ने इसे करने की इच्छा जाहिर भी की.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, तभी अन्य डॉक्टर वहां पर पहुंच गए और कहने लगे कि वे लोग हड़ताल पर हैं और वे लोग उन्हें वहां से ले गए.’ महाराष्ट्र में डॉक्टरों की हड़ताल के गुरुवार को चार दिन हो गए.