Manipur Viral Video: मणिपुर हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कई तीखे सवाल पूछे. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया. यह घटना 4 मई की थी. पर इस बारे में  ज़ीरो FIR  18 मई को हो गई थी. पुलिस को FIR दर्ज करने में ही 14 दिन लग गए. फिर केस 21 जून को सम्बंधित मजिस्ट्रेट के पास गया..  आखिर पुलिस इतने दिनों तक क्या कर रही थी!


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सरकार से जानकारी मांगी


सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अभी तक कुल कितनी एफआईआर दर्ज हुई है. इन एफआईआर में कितनी एफआईआर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी है,  इनमे कितनी ज़ीरो FIR है, अभी तक कितनी गिरफ्तारी हुई है, कितने केस में मजिस्ट्रेट ने सुनवाई की है. कितने केस में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज हुए हैं.


SIT और हाई पावर कमेटी के गठन का संकेत


सुनवाई के दौरान आज कोर्ट ने संकेत दिए कि इस मामले में एक हाई पावर कमेटी का  गठन किया जा सकता है, जो वहां जाकर पीड़ित महिलाओं के साथ बात करे. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालातो में वहां पीड़ित लोगों के बीच संवैधानिक प्रकिया को लेकर विश्वास बहाल करने की ज़रूरत है. उन्हें  ये आश्वस्त करने की ज़रूरत है कि कोर्ट भी उन्हें लेकर गम्भीर है सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से इस केस की एसआईटी जांच की मांग के साथ-साथ उसके लिए कुछ नाम भी कोर्ट को दिए गए हैं. कोर्ट ने इस पर भी सरकार की राय मांगी है. मंगलवार को सरकार का जवाब आने के बाद  कोर्ट  इस बारे में आदेश पास कर सकता है.


पीड़ित महिलाओं ने पुलिस पर आरोप लगाया


सुनवाई के दौरान पीड़ित महिलाओं की ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए. सिब्बल ने कहा कि पुलिस गुनहगारों से मिली हुई थी. पुलिस ने ही महिलाओं को भीड़ में छोड़ा. फिर उनके साथ बर्बरता हुई. हमे मणिपुर पुलिस या सीबीआई  पर भरोसा नहीं है. हम चाहते है कि  कोर्ट की निगरानी में SIT जांच हो. सिब्बल के अलावा दूसरे पक्षकारों की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस, इंदिरा जय सिंह, वृंदा ग्रोवर, शोभा गुप्ता, निज़ाम पाशा पेश हुए. इन्होंने इस मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया. इंदिरा जय सिंह ने एक हाई पावर कमेटी को मणिपुर भेजने का सुझाव दिया जो मणिपुर जाकर यौन हमलों की शिकार महिलाओं से बात कर रिपोर्ट तय करे


सरकार का पक्ष


सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. SG तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट इस मामले में जांच की निगरानी करता है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. कोर्ट की ओर से पूछे गए सवालों के मद्देनजर एजी और एसजी ने जानकारी जुटाने के लिए कुछ और वक़्त देने की बात कही लेकिन कोर्ट ने कहा कि ज़्यादा वक़्त नहीं दिया जा सकता. मंगलवार तक जानकारी हासिल कर कोर्ट को अवगत कराएं.


दूसरे राज्यों में महिलाओं के साथ यौन हिंसा का मामला उठा


सुनवाई के दौरान वकील बांसुरी स्वराज ने मणिपुर के अलावा दूसरे राज्यों में महिलाओं के साथ हुई हिंसा का मामला भी उठाया. वकील बांसुरी स्वराज ने कहा कि सारे देश की महिलाओं को सुरक्षा की ज़रूरत है.  मणिपुर जैसे ही घटनाएं पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल में हुई है. कोर्ट  सिर्फ मणिपुर  तक सीमित नहीं रहे. बाकी राज्यों के लिए भी वैसा ही आदेश दे, जहां इस तरह की घटनाएं हुई हैं.


'बाकी राज्यों का हवाला देकर मणिपुर को अनदेखा नहीं कर सकते'


चीफ जस्टिस ने  इसपर कहा कि इसमें दो राय नहीं कि देश में दूसरी जगह भी ऐसी घटनाएं हुई हैं. महिलाओं के साथ अपराध हमारे समाज की कड़वी हकीकत है, पर मणिपुर में जो हुआ, वो एक अलग दर्जे की जघन्यता है. बाकी घटनाओं का हवाला देकर मणिपुर की घटना को अनदेखा नहीं किया जा सकता. चीफ जस्टिस ने वकील से सवाल किया कि क्या आप कहना चाहती हैं कि कोर्ट या तो सभी महिलाओं को सुरक्षित रखने का आदेश दे या फिर किसी को भी नहीं! वकील ने जवाब दिया कि वो देश की सभी बेटियों की सुरक्षा चाहती है.