एक रिटायर्ड सुपर कॉप और तीन पूर्व नौकरशाहों को मोदी कैबिनेट में मिली जगह
पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में होने जा रहे बदलाव में जिन नौ नए चेहरों को जगह मिली है. उनमें खाकी से खादी तक का सफर तय करने वाले बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह भी शामिल हैं. वह मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं. आरके सिंह गृह सचिव, हरदीप सिंह पुरी राजनयिक और केजे अल्फोंस आईएएस रहे हैं. इसके अलावा बिहार से बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे और यूपी से राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ला मंत्री पद की शपथ लेंगे. निकट भविष्य में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, उन राज्यों से वीरेंद्र कुमार (मध्य प्रदेश), अनंत कुमार हेगड़े (कर्नाटक) और गजेंद्र सिंह शेखावत (राजस्थान) शपथ लेंगे. इस परिप्रेक्ष्य में मंत्री बनने जा रहे पूर्व नौकरशाहों पर आइए डालते हैं एक नजर:
आरके सिंह: केंद्रीय गृह सचिव से मंत्रिमंडल तक का सफर
राज कुमार सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. इस वक्त बिहार में आरा से लोकसभा सदस्य हैं. केंद्रीय गृह सचिव के पद से रिटायर होने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट से बिहार में आरा से लोकसभा सदस्य बने. उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण और जेल आधुनिकीकरण की योजनाओं में भी खासा योगदान किया. इसके अलावा वह आपदा प्रबंधन का ढांचा तैयार करने में भी शामिल रहे. पढ़ने-लिखने के शौकीन राजकुमार सिंह यानी आरके सिंह ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली, आर.वी.बी. डेल्फ विश्वविद्यालय (नीदरलैण्ड) से शिक्षा ग्रहण की.
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हरदीप सिंह पुरी: विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के पारखी
भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हरदीप पुरी को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. तकरीबन 40 वर्षों के अपने राजनयिक जीवन के दौरान वह कई देशों में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं देने के अलावा संयुक्त राष्ट्र में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. 15 फरवरी 1952 को दिल्ली में जन्मे हरदीप भारतीय विदेश सेवा के 1974 बैच के अधिकारी हैं और 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारतीय जनता पार्टी के रुख से प्रभावित होकर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया.
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अपने लंबे राजनयिक जीवन में हरदीप को कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष पूरी मजबूती से रखने का श्रेय जाता है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय विदेश सेवा का रूख किया और इस दौरान जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे. वह कुछ समय तक सेंट स्टीफन कॉलेज में व्याख्याता भी रहे.
हरदीप पुरी ने 1988 से 1991 के दौरान ब्राजील, जापान, श्रीलंका और ब्रिटेन में महत्वपूर्ण राजनयिक जिम्मेदारियां निभाईं. वह न्यूयॉर्क स्थित अंतरराष्ट्रीय शांति संस्थान के उपाध्यक्ष रहे और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि के रूप में अपनी सेवाएं दीं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में हरदीप ने विश्व संगठन की आतंकवाद निरोधक समित और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत के हितों का पूरी ईमानदारी से संरक्षण किया.
सत्यपाल सिंह: खाकी से खादी तक का सफर
1990 के दशक में मुंबई में संगठित अपराध की कमर तोड़ने वाले सत्यपाल सिंह ने मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस आयुक्त का पदभार संभालने के बाद खाकी से खादी का रूख किया और उत्तर प्रदेश में बागपत से लोकसभा के लिए चुने गए. 1980 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सत्यपाल सिंह देश के पुलिस विभाग के सबसे सफल और कर्मठ पुलिस अधिकारियों में गिने जाते हैं और उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया. आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके अदम्य साहस के बूते पर अंजाम दिए गए असाधारण कार्यों के लिए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया.
29 नवंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बसौली में जन्मे सत्यपाल सिंह ने रसायनशास्त्र में एमएससी और एमफिल किया. ऑस्ट्रेलिया से सामरिक प्रबंधन में एमबीए, लोक प्रशासन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिंह ने लेखन में भी अपने हाथ आजमाए और कई किताबें लिखीं. वह वैदिक अध्ययन और संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं और आध्यात्मिकता, धार्मिक सौहार्द एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नियमित रूप से व्याख्यान दिया करते हैं.
अपनी बात को बेहतरीन तरीके से लोगों के सामने रखने में माहिर सत्यपाल सिंह गृह मामलों पर संसदीय सथायी समिति के सदस्य हैं और लाभ के पद से संबंधित संयुक्त समिति के अध्यक्ष हैं.
अलफोन्स कन्नाथनम: पूर्व आईएएस अधिकारी
दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान चला कर कम से कम 15 हजार अवैध इमारतें हटवाने वाले पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अलफोन्स कन्नाथनम अब मोदी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनने जा रहे हैं. रिटायर होने के बाद वह केरल के कंजीरापल्ली से 2006 -2011 के लिए विधानसभा सदस्य चुने गए. इसके अलावा वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2017 निर्माण समिति के सदस्य भी हैं.
कोट्टायम जिले के मनीमाला गांव में एक सैनिक परिवार में जन्में कन्नाथनम ने कोट्टायम के जिला कलेक्टर के अपने कार्यकाल के दौरान 1989 में इसे 100 प्रतिशत साक्षरता वाला शहर बना कर देश में साक्षरता अभियान की शुरुआत की थी. पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने 1994 में जनशक्ति नामक एक एनजीओ की स्थापना की थी जिसमें उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि उनमें सरकार को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने की क्षमता है.
केरल से 1979 बैच के आईएएस अधिकारी रहे कन्नाथनम दिल्ली विकास प्राधिकरण में आयुक्त थे और भारी मात्रा में अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के कारण इन्हें दिल्ली के 'डिमोलीशन मैन' के नाम से भी जाना जाता रहा. इतनी बड़ी उपलब्धि के कारण उनका नाम 1994 में टाइम्स मैगजीन के 100 युवा वैश्विक हस्तियों की सूची में शामिल किया गया था. उनकी किताब 'मेकिंग ए डिफरेंस' बेस्ट सेलिंग बुक की श्रेणी में शामिल है.