दोषियों को सजा मिली, लेकिन... 12 साल बाद भी निर्भया की मां के मन में है ये दर्द
Delhi Gang Rape: 16 दिसंबर 2012 की रात को हुई जघन्य घटना के बाद 8 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 2020 में आरोपियों को फांसी दी गई. अब निर्भया की मां ने अपना दर्द बयां किया है और बताया है कि 12 साल हो गए हैं, लेकिन हालात अब भी वैसे ही हैं जैसे तब थे.
Nirbhaya Gang Rape: 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली की सड़क पर चलती बस में निर्भया (बदला नाम) के साथ गैंग रेप (2012 Delhi Gang Rape) किया गया. अब निर्भया की मां ने अपना दर्द बयां किया है और बताया है कि 12 साल हो गए हैं, लेकिन हालात अब भी वैसे ही हैं जैसे तब थे. बता दें कि गैंगरेप के के 17 दिनों बाद निर्भया जिंदगी की जंग के बाद हार गई और 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में ही मौत हो गई. निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने में 8 साल का लंबा समय लगा था और साल 2020 में उन्हें फांसी दी गई.
12 साल बाद भी निर्भया की मां के मन में है ये दर्द
दिल्ली में 2012 के गैंग रेप की शिकार 'निर्भया' की मां आशा देवी ने महिला सुरक्षा पर सवाल उठाया है और कहा है कि हमारी बेटियों की सुरक्षा के लिए संघर्ष अभी भी जारी है, लेकिन स्थिति नहीं बदली है. उन्होंन कहा, 'आज 12 साल हो गए हैं... हालात वैसे ही हैं जैसे तब थे. मैं बहुत दुख के साथ कहना चाहती हूं कि हमारी बेटियों की सुरक्षा के लिए संघर्ष अभी भी जारी है, हालांकि, स्थिति नहीं बदली है. हालात अब बदतर हो गए हैं.'
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निर्भया को न्याय मिला, दोषियों को सजा मिली, लेकिन...
निर्भया की मां ने कहा, 'न्याय की कोई उम्मीद नहीं है. समाज कहां जा रहा है, हम किस तरह के समाज में रह रहे हैं. 'निर्भया' को 12 साल हो गए हैं. उसे न्याय मिला, दोषियों को सजा मिली, लेकिन इतनी सारी घटनाएं हुईं और मुझे नहीं लगता कि दूसरी लड़कियों को न्याय मिला है. हमारे समाज और व्यवस्था में सुधार की जरूरत है.'
16 दिसंबर 20212 की वो काली रात...
साल के आखिरी महीने के दूसरे पखवाड़े का पहला दिन दिल्ली में एक युवती पर कहर बनकर टूटा. 16 दिसंबर 2012 को एक छात्रा के साथ उसके एक मित्र की मौजूदगी में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया और उन दोनों को ठिठुरती सर्द रात में बस से बाहर फेंक दिया गया. बाद में इलाज के लिए सिंगापुर ले जाई गई पीड़िता ने वहीं दम तोड़ दिया था. इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता को ‘‘निर्भया’’ नाम दिया गया और देश में उसके लिए न्याय की मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया.
8 साल की लंबी कानूनी लड़ाई, फिर मिली सजा
इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए. इनमें से एक नाबालिग था. मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया. तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 20 मार्च 2020 को इस मामले के चार दोषियों को फांसी दी गई.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)