पंचायत का सीन! बच्चे के नामकरण से गुस्साए मां-बाप तलाक लेने लगे, फिर 4 जज आगे आए...
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पंचायत का सीन! बच्चे के नामकरण से गुस्साए मां-बाप तलाक लेने लगे, फिर 4 जज आगे आए...

पति-पत्नी को लेकर के बीच तरह-तरह के झगड़ों के बारे सुना और देखा होगा, लेकिन मैसूर में एक जोड़ा बच्चे के नाम को लेकर झगड़ा करने के बाद अदालत पहुंच गया. जिसके बाद अदालत ने नया नाम रखा और दोनों ने वर्षों से चले आ रहे कटु संबंधों को सुधारकर नई शुरुआत की. 

पंचायत का सीन! बच्चे के नामकरण से गुस्साए मां-बाप तलाक लेने लगे, फिर 4 जज आगे आए...

अमेरिकी कवि और नाटककार विलियम शेक्सपियर के हवाले अक्सर कहा जाता है, 'नाम में क्या रखा है.' लेकिन जनाब नाम में तो बहुत कुछ रखा है. इसकी ताजा मिसाल हाल ही में तब देखने को मिली जब बच्चे का नाम रखने को लेकर पति-पत्नी के बीच तलाक तक की नौबत आ गई और फिर मामला अदालत में पहुंचा. जिसके बाद अदालत ने बच्चे का नाम तय किया. कुछ इसी तरह का सीन मशहूर 'वेब सीरीज' पंचायत में भी देखने को मिला था. 

2021 में पैदा हुआ था बच्चा

TOI अखबार के मुताबिक ताजी घटना मौसूर की है, जहां पर एक पति-पत्नी अपने बच्चे के नाम को लेकर आपस में भिड़ गए. 2021 में इस जोड़े के यहां बच्चे पैदाइश होती है और फिर नाम को लेकर दोनों के बीच विवाद खड़ा हो जाता है. मां बच्चे के नाम 'आदि' रखना चाहती थी लेकिन पिता चाहता था कि बच्चे का नाम 'शनि' रखा जाए. बस इसी को लेकर दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया. क्योंकि पति को पत्नी का सुझाया हुआ और पत्नी को पति को सुझाया हुआ नामा पसंद नहीं आ रहा था.

आपस में बांटी मिठाई

बताया जा रहा है कि पति चाहता था कि उसके बेटे का नाम ऐसा रखा जो भगवान शनि को दर्शाता हो. पति-पत्नी के बीच यह बहस लगभग 2 वर्षों तक जारी रही. जब कोई हल नहीं निकला तो पत्नी अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद अदालत ने तीसरा सुझाव देते हुए बच्चे का नाम 'आर्यवर्धन' रखा. इस नाम से पति-पत्नी दोनों खुश थे. अदालत ने इस नतीजे पर पहुंचने के बाद दोनों के बीच मालाएं पहनवाईं और मिठाई भी बांटी. दोनों ने पुरानी बातों को भूलकर फिर से रिश्ते की शुरुआत की है.

आपस में मिल नहीं रहे थे पति-पत्नी

बताया जा रहा कि पत्नी ने जबसे अपने पति को प्रेग्नेंसी के बारे में बताया था तब से लेकर वो उससे नहीं मिला था. क्योंकि वो पत्नी के ज़रिए सुझाए गए नाम से खुश नहीं था, यहां तक कि बच्चे की पैदाइश के बाद भी वो आपस में नहीं मिले. लगभग दो साल तक दंपति के बीच कोई रास्ता न निकलने पर पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग करते हुए अदालत का रुख किया. इस बिंदु पर एक सहायक सरकारी वकील सौम्या एमएन ने कहा कि दोनों आखिर में 'आर्य-वर्धन' नाम पर सहमत हुए.

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