#IndiaKaDNA: कोरोना काल में किसान योद्धा बनकर उभरा- नरेंद्र सिंह तोमर
पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी हुई है.
नई दिल्ली: कोरोना काल में किसान योद्धा बनकर उभरा है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी हुई है. इंडिया का DNA E-Conclave में ये बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कही. गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ, इस साल गेहूं उत्पादन 357 मीट्रिक टन हुआ. सरकार के फैसलों के केंद्र में किसान है.किसानों ने गांवों को कोरोना मुक्त रखा.
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में पूरी तरह से किसान है. इसीलिए ही जहां दुनिया में पूरी तरह से लॉकडाउन की वजह से जन-जीवन ठप हो गया लेकिन गांव बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए. किसान की जिंदगी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई. एक तरफ जहां गांव कोरोना से मुक्त बने हुए हैं वहीं सरकार ने ऐसे उपाय और नीतियां बनाई हैं जिससे किसान की जिंदगी पहले की तुलना में ज्यादा आसान बनी है.
अहम बातें:
लॉकडाउन में किसानों को लाभ हुआ
ग्रीष्म ऋतु की बुआई पिछली साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक हुई
सरकार ने किसानों को 72 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है
सरकार की कोशिश किसानों का उत्पादन बढ़ाने की है
किसान बीमा योजना के तहत किसानों को मदद दी गई
सरकार की कोशिश की किसानों को उत्पादन का सही मूल्य मिले
LIVE TV
रामविलास पासवान
इससे पहले देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave में बातचीत के दौरान केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना पर काम जारी है. पासवान ने कहा कि मंत्रालय ने लक्ष्य से 200% ज्यादा काम किया. गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया गया.
पासवान ने बातचीत के दौरान कहा, "मोदी सरकार ने ग्राहकों के लिए नया उपभोक्ता कानून बनाया, जिसका लाभ सबको मिलेगा. पुराने उपभोक्ता कानून में बदलाव किया गया. देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
मोदी सरकार के बड़े फैसलों की जानकारी देते हुए पासवान ने कहा, "किसान किसी भी राज्य में फसल बेच सकते हैं. 5 साल में चावल-गेहूं की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. सोने पर हॉल मार्किंग जरूरी की गई है."
प्रवासी मजदूरों के सवाल पर उन्होंने कहा, "मसला केवल राज्य बनाम केंद्र का नहीं है. राज्यों की अपनी समस्याएं और क्षमताएं हैं. बाहर से आए मजदूरों के व्यवस्थाएं करना राज्य सरकारों के लिए इतना आसान नहीं था. कुछ राज्यों ने इस समस्या का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया. इसमें यूपी की योगी सरकार ने अच्छा काम किया."