श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में इन दिनों अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या (Rohingya) लोगों के वेरिफिकेशन का काम चल रहा है. इसी दौरान सुरक्षा एजेंसियों को कुछ चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं. जांच में पता चला है कि रोहिंग्या को जम्मू में बसाने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) और सऊदी अरब (UAE) की तरफ से एक NGO को फंडिंग की जाती रही है. 


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इसकी शुरुआत 1996 में हुई, जब बड़ी संख्या में रोहिंग्या म्यांमार से आकर जम्मू के किरयानी तालाब, नरवाल बाला, बड़ी ब्राह्मणा की तेली बस्ती, साम्बा, कठुआ में बस गए. उस वक्त जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की सरकार का शासन था. सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि रोहिंग्याओं के लिए विदेशी फंडिंग से वेलफेयर देख रही NGO ने मदरसे और वेलफेयर सेंटर भी बना रखे हैं. हालांकि अभी तक NGO के नाम का खुलासा नहीं हुआ है.


13,700 से ज्यादा विदेशी जम्मू में बसे


सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से ज्यादा विदेशी नागरिक जम्मू और साम्बा (Samba) जिलों में बसे हुए हैं. आंकड़े बताते हैं कि 2008 से 2016 के बीच उनकी जनसंख्या में 6,000 से ज्यादा की वृद्धि हुई है. रोहिंग्या, म्यांमार (Myanmar) के बांग्ला बोलने वाले अल्पसंख्यक मुसलमान हैं.


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168 रोहिंग्या को भेजा होल्डिंग सेंटर


वहीं, जो रोहिंग्या वेरिफिकेशन से बचकर भाग गए हैं उनकी तलाश में पुलिस ने जम्मू, साम्बा और कठुआ के सरपंचों से मदद मांगी है और रोहिंग्या की पहचान कर तुरंत पुलिस को बताने की अपील की है. पुलिस ने बीते शनिवार ऐसे ही 168 रोहिंग्या को पकड़कर हीरानगर जेल में बनाए गए होल्डिंग सेंटर में भेजा है. इनके पास देश में रहने या कहीं आने-जाने के वैध दस्तावेज नहीं थे. आरोपियों के खिलाफ पासपोर्ट एक्ट की धाराओं में कार्रवाई की गई है. इसके अलावा सोमवार को साम्बा जिले के बड़ी ब्राह्मणा की तेली बस्ती से 24 रोहिंग्या को पकड़ा गया है.


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स्टेडियम में हो रही पड़ताल


अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच MAM स्टेडियम में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है. प्रशासन के मुताबिक, इस प्रक्रिया के तहत रोहिंग्या समुदाय के लोगों की बायोमिट्रिक जानकारी, रहने का स्थान आदि सहित अन्य सूचनाएं जुटाई गईं हैं. आगे भी ये अभियान जारी रहेगा. इस दौरान गहराई से पड़ताल की जा रही है. 


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'देश के लिए खतरा'


म्यांमार के नागरिक अब्दुल हनान ने पत्रकारों को बताया, ‘कोविड-19 की जांच के बाद हमने एक फॉर्म भरा. हमारे फिंगरप्रिंट लिए गए.’ उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह स्टेडियम से बाहर आ गए. इस बीच कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वो रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को फौरन उनके देश वापस भेजने की दिशा में कदम उठाएं.


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