India-Canada Realation: बीते एक दशक में जिस तरह से हिंदुस्तान की विदेश नीति में बदलाव आया है. उसका फायदा भारत को एक साथ कई फ्रंट पर मिल रहा है. पाकिस्तान पहले ही घुटने टेक चुका है. जमीनखोर ड्रैगन भी बैकफुट पर है. लेकिन हाल में कनाडा ने जिस तरह भारत को आंखे दिखाने की कोशिश की.. भारत ने हर बार  उसी भाषा में कनाडा को जवाब दिया है.


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अपने INTERNAL POLITICS को साधने के लिए ट्रूडो प्रशासन अलगाववाद को जगह देता है. जिसे भारत किसी भी हाल में बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है. अब इटली में कैसे एक बार फिर पीएम मोदी ने अलगाववाद को लेकर ट्रूडो को DIPLOMACY का PERFECT DOSE दिया है. G7 शिखर सम्मेलन के दौरान बाइडेन, मेलोनी, मैक्रों और जेलेंस्की जैसे आधुनिक दुनिया के नेताओं से पीएम मोदी की परफेक्ट ट्यूनिंग देखने को मिली. इन मुलाकातों के कई मायने हैं. BILATERAL MEETING'S के जरिए तकनीक और रक्षा में सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ विश्व शांति और विकास पर लंबी बातचीत हुई. पीएम मोदी जिस तरह से बाकि राष्ट्राध्यक्षों से मिले, उसमें भारत के बाकि देशों के साथ रिश्ते की झलक भी दिखी.


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पीएम मोदी ने अपने X पोस्ट पर हर नेता से मुलाकात की जानकारी साझा की. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने इन राष्ट्राध्यक्ष के साथ हुई बातचीत का एक संक्षिप्त ब्योरा भी दिया. पीएम मोदी ने अपने पोस्ट के जरिए बताया कि जापान, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ तकनीक और सुरक्षा पर, जर्मनी और यूक्रेन के साथ विकास और विश्व शांति पर. तो मेजबान इटली के साथ ऊर्जा और टेलिकोम पर अच्छी बातचीत हुई.


लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ शेयर की गई तस्वीर के साथ केवल एक लाइन का पोस्ट बहुत कुछ कहता है. इस तस्वीर में पीएम मोदी मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन ट्रूडो के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है. इन्हीं वजहों से पीएम मोदी और ट्रूडो के बीच हुई बातचीत को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत ने कड़े शब्दों में खालिस्तान और अलगाववाद को लेकर ट्रूडो से बातचीत की है. इस बात को और बल विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मिलता है, जो पीएम मोदी के इटली रवाना होने से एक दिन पहले बुलाई गई थी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से ही साफ हो गया था कि इटली में निज्जर, खालिस्तान और अलगाववाद को लेकर कनाडा के सामने भारत का क्या स्टैंड रहने वाला है.


निज्जर मामले के बाद पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो की ये पहली मुलाकात थी. हालांकि भारत और कनाडा के बीच बातचीत का पूरा ब्योरा अभी सामने नहीं आया है. लेकिन जिस तरह से कनाडा के आरोपों पर शुरू से भारत का स्टैंड रहा है. उससे साफ हो जाता है कि यहां भी भारत की तरफ से कनाडा को जवाब दी गई होगी.