इस्लामाबाद: जम्मू कश्मीर में पुलवामा हमला मामले में कबूलनामा करने के बाद पाकिस्तान अब उससे पलटता दिखाई दे रहा है.


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पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 26 फरवरी को भारत की ओर से हुई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के मजबूत रिस्पांस के संबंध में बात कही थी. जिसे गलत समझ लिया गया. 


26 फरवरी के संबंध में दिया था बयान: फवाद चौधरी
एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए फवाद चौधरी ने कहा कि पुलवामा में पिछले साल दो वाक्ये हुए थे. एक 4 फरवरी को और दूसरा 26 फरवरी को हुआ था. फवाद ने दावा किया कि उन्होंने संसद में जिस घटना का जिक्र किया था, वह 26 फरवरी की थी. जब हिंदुस्तान ने पाकिस्तान की सीमा में घुसने की जुर्रत की थी और उसके बाद उनके देश ने मुंहतोड़ जवाब दिया था.


'14 फरवरी की घटना पर भारत नहीं दिए सबूत'
फवाद ने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा में जो हुआ, वह निश्चित तौर पर दहशतगर्दी थी. इस पर हमारे प्राइम मिनिस्टर ने भी बात कर ऑफर दिया था कि आप सबूत दीजिए. हम साथ में पड़ताल करते हैं. लेकिन आपने वह भी नहीं किया. फवाद ने यह भी दावा किया कि वे दहशतगर्दी को पसंद नहीं करते हैं. लेकिन देश के स्वाभिमान की रक्षा से पीछे भी नहीं रहेंगे. 


पुलवामा हमले में किया था कबूलनामा
बता दें कि फवाद चौधरी ने इससे पहले पाकिस्तान की संसद में बयान देते हुए माना था कि पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ था. उन्होंने कहा कि पुलवामा हमला पाकिस्तान की कामयाबी है. फवाद चौधरी ने पुलवामा हमले का श्रेय इमरान खान और उनकी पार्टी PTI को दिया. उन्होंने कहा कि पुलवामा हमला इमरान खान के लिए एक उपलब्धि है. लेकिन उनके इस बयान का पाकिस्तानी सेना को नुकसान होते देख अब वे अपने इस बयान से पलटते दिखाई दे रहे हैं. 


'मोदी सरकार कुछ ज्यादा ही जंग पसंद'
फवाद ने कहा कि जब से हिंदुस्तान में मोदी सरकार आई है तब से जंग की बात कुछ ज्यादा ही हो रही है. हर बात पर कहते हैं कि चीन से जंग लड़ लें, पाकिस्तान से जंग लड़ लें, बांग्लादेश से जंग लड़ लें, नेपाल से जंग लड़ लें. समझ नहीं आता कि हिंदुस्तान जंग में इतना क्यों जाना चाहता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को पता है कि उसे कब क्या करना है, वो टांगे कांपने वाला बंदा नहीं है.