Brazil G20 Summit: तिलक लगाते, मंत्र बोलते, साड़ी पहनते... ब्राजील में इन विदेशी सनातनियों से मिलिए
Hindu Culture In Brazil: ब्राजील में भले ही भारतीयों की संख्या बहुत अधिक न हो, उन्होंने यहां गहरी छाप छोड़ी है. रियो डि जेनेरो में तो विदेशी भी सनातनी अंदाज में वैदिक मंत्रों का पाठ करते नजर आते हैं.
Indians In Brazil: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19वें जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने ब्राजील पहुंच गए हैं. यहां रियो डि जेनेरो में उनका भारतीय समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया. मोदी 18 और 19 नवंबर को G20 समिट में हिस्सा लेंगे. ब्राजील, दक्षिण अमेरिका का सबसे बड़ा देश है. यह देश बाहें पसार के तमाम संस्कृतियों को अपना लेता है. भारत से गए लोगों को भी ब्राजील ने खुले दिल से न सिर्फ स्वीकारा, बल्कि उसके रंग में रंग भी गया.
आज रियो डि जेनेरो में आपको कहीं से वैदिक मंत्रों की गूंज सुनाई दे जाए तो हैरान मत होइएगा. ब्राजील में मौजूद भारतीयों ने ऐसा असर डाला है कि विदेशी भी अब तिलक-भभूत लगाकर, मनका-माला लेकर जप करने लगे हैं.
ब्राजील में कितने भारतीय?
साओ पाउलो स्थित भारतीय कांसुलेट की वेबसाइट के अनुसार, ब्राजील में करीब 5,000 भारतीय रहते हैं. अधिकतर भारतीय साओ पाउलो, रियो डि जेनेरो, और मनौस में बसे हैं. ब्राजील में अधिकतर भारतीय पेशेवर या कारोबारी हैं, कुछ वैज्ञानिक और रिसर्चर भी हैं.
ब्राजील में हिंदू संस्कृति का प्रसार
भारत से गए हिंदुओं की आध्यात्मिकता ने ब्राजील के आम जनमानस को खासा प्रभावित किया है. जोनास मसेट्टी को ही लीजिए, जिन्हें अब आचार्य विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है. न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में वे कहते हैं, 'ब्राजील में कई लोग वैदिक संस्कृति और भारतीय संस्कृति से जुड़ते हैं. पहली बार जब वे मंत्र सुनते हैं, तो उनके दिल में बहुत खुशी और शांति महसूस होती है. कई छात्र संस्कृत, मंत्र, रामायण और महाभारत की कहानियां सीखते हैं...'
'वेद पढ़कर जाना मैं कौन हूं'
वेदों में छिपे ज्ञान से जीवन की दिशा पाने वाले विदेशियों में ब्राजील की जेनिफर स्कोल्स भी हैं. उन्हें अब माहेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. वह ANI से कहती हैं, 'मैंने लगभग 10 साल पहले शुरुआत की थी, उस समय मुझे अपने जीवन में कोई अर्थ नहीं दिख रहा था। जब मैंने वेदों का अध्ययन शुरू किया तो मुझे एहसास हुआ कि मैं कौन हूं...'
आचार्य जोनास मसेट्टी एक ऐसी संस्था को चलाते हैं जो संस्कृत और वैदिक प्रथाओं को बढ़ावा देती है. उनकी संस्था सैकड़ों लोगों को वैदिक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर चुकी है. मसेट्टी ने कहा कि यह दिखाता है कि भारत और ब्राजील, 14000 किलोमीटर से भी अधिक दूर स्थित दो देश, इतने मजबूत संबंध साझा कर सकते हैं.
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