Rajasthan Politics: राजस्थान में सीएम फेस के लिए वसुंधरा को मिल सकती है इनसे चुनौती, चुपके से सामने आ सकता है नाम
Rajasthan में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. कांग्रेस जहां लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी है तो बीजेपी पांच साल का सूखा खत्म कर सत्ता का स्वाद चखना चाह रही है. हालांकि बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दुविधा मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकता है.
Rajasthan Election: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. कांग्रेस जहां लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी है तो बीजेपी पांच साल का सूखा खत्म कर सत्ता का स्वाद चखना चाह रही है. हालांकि बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दुविधा मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकता है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इसे लेकर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है.वहीं, केंद्रीय नेतृत्व की पसंद एक केंद्रीय मंत्री बताए जा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये दूसरे केंद्रीय मंत्री हैं. न कि वह, जिनका नाम पिछले कुछ महीनों से दावेदारों में चलता रहा है. जिन मंत्री का नाम आगे चल रहा है वो पीएम नरेंद्र मोदी की भी पसंद बताए जाए रहे हैं.
राजस्थान बीजेपी में बड़े बदलाव के कयास
कुछ दिन पहले वसुंधरा राजे ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बी.एल. संतोष से दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या उन्हें पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या राज्य में सामाजिक समीकरण संतुलित रहे हैं तथा क्या पार्टी के संगठनात्मक स्तर पर किसी और बदलाव की आवश्यकता है. चुनावी साल में भगवा पार्टी ज्यादा बदलाव नहीं चाहती है. लेकिन अब भी इस बात पर विचार चल रहा है कि ब्राह्मण उम्मीदवार को बीजेपी और भाजयुमो के अध्यक्ष बनाए रखा जाए या नहीं.
सी.पी. जोशी राज्य बीजेपी प्रमुख हैं, हिमांशु शर्मा राज्य भाजयुमो अध्यक्ष हैं. शर्मा को बदला जा सकता है. इसी तरह, राज्य बीजेपी प्रभारी अरुण सिंह और राज्य बीजेपी संगठनात्मक सचिव चंद्रशेखर को बनाए रखने या बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं.
राजे को पछाड़ना इतना आसान भी नहीं
वसुंधरा राजे की बात करें तो वह दो बार राज्य में बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर चुकी हैं और लोगों के बीच उनका एक मजबूत जनाधार है. हालांकि, कथित तौर पर उनके और शीर्ष नेतृत्व के बीच कुछ मतभेद हैं. इस बीच, केंद्रीय नेताओं ने भी उन्हें दरकिनार करने की कोशिश की और नेताओं की एक नई पीढ़ी तैयार की.
अब सवाल यह है कि क्या उन्हें एक और मौका दिया जाएगा? अटकलें लगाई जा रही हैं कि कर्नाटक के नतीजों के बाद बीजेपी उनके नाम पर विचार कर सकती है क्योंकि दक्षिणी राज्य में येदियुरप्पा को दरकिनार करना विनाशकारी साबित हुआ.
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