लावारिसों की आत्मा को सहारा, स्वयंसेवी संगठन ने 107 अस्थियों को किया विसर्जित
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लावारिसों की आत्मा को सहारा, स्वयंसेवी संगठन ने 107 अस्थियों को किया विसर्जित

तीर्थ गुरु पुष्कर राज पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म की मान्यताओं में अपना विशेष स्थान रखता है. 

लावारिसों की आत्मा को सहारा

Ajmer: आज के दौर में जहां दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने तक के लिए सरकारी प्रोत्साहन की जरूरत पड़ने लगी है. वहीं, इस देश में कुछ ऐसे स्वयंसेवी संगठन भी हैं...जो लावारिस लाशों को उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं. ऐसा ही एक संगठन गुजरात के सूरत में अपनी सेवा को लेकर चर्चा में है. रविवार को अग्नि दाह सेवा केंद्र के अध्यक्ष वेणिलाल ने 107 लावारिस मृतकों की अस्थियों को पुष्कर सरोवर में विसर्जित किया.

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तीर्थ गुरु पुष्कर राज पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म की मान्यताओं में अपना विशेष स्थान रखता है. इसी के चलते वर्षभर लाखों श्रद्धालु आस्था का दामन थाम पुष्कर सरोवर पर पूजा अर्चना करने आते हैं. पुष्कर सरोवर में अस्थि विसर्जन का भी अपना विशेष महत्व है. इन्हीं मान्यताओं के चलते गुजरात के सूरत शहर से बीते दो महीने में किए गए 107 लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को पुष्कर सरोवर में विसर्जित किया गया.

अग्नि दाह सेवा केंद्र के अध्यक्ष वेणीलाल ने बताया कि वह बीते 3 वर्षों से इस सेवा कार्य में लगे हैं. वे हर बार नासिक ले जाकर इन हस्तियों को प्रवाहित करते रहे हैं, लेकिन जब उन्हें पुष्कर तीर्थ की महिमा के बारे में ज्ञान हुआ तब वे 2 महीनों में एकत्रित हुई अस्थियों को पुष्कर सरोवर में प्रवाहित करवाने पुष्कर आए हैं. जहां उन्होंने दिवंगत मृतकों की मोक्ष कामना के साथ अस्थियां पुष्कर सरोवर में विसर्जित की. पुष्कर सरोवर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंडित दिनेश रायता ने अस्थियों का विसर्जन करवाया.

पुराणों में वर्णित लेख के अनुसार पुष्कर सरोवर में स्नान, पूजा अर्चना, पित्र कर्म और अस्थि विसर्जन का बड़ा विशेष महत्व उल्लेखित किया गया है. पितृपक्ष में भी लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए...पुष्कर सरोवर में तर्पण करने आते हैं. मानव मात्र को श्री चरणों में स्थान मिले इसी कामना के साथ वेणीलाल सूरत से पुष्कर आए और जिन्हें अपनों के हाथों अंतिम गति नहीं मिली उनका उद्धार किया.

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