PM मोदी की तारीफ के बाद अब अमेरिका उठाएगा इमरान खान के प्रोजेक्ट का खर्च
Alwar news : राजस्थान(rajasthan ) के अलवर(Alwar) के एपगुरु इमरान खान (App guru imran khan) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सौं से ज्यादा एजुकेशनल एप (education App) बना चुके इमरान का चयन अंतरराष्ट्रीय शिक्षक फैलोशिप (american fellowship) के लिए हुआ है.
Alwar news : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार और जमुनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित राजस्थान के अलवर के एप गुरु इमरान खान का चयन एफडीएआई प्रोग्राम के लिए हुआ है. खासबात ये है की इस प्रोग्राम के लिए दुनिया भर से सिर्फ 50 टीचर्स का ही चयन हुआ है. जिसमें से भारत से चार टीचर्स सलेक्ट हुए हैं.
अमेरिका में टीचिंग प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल टीचर्स फैलोशिप के तहत अब इमरान अगस्त से दिसंबर 2023 तक अमेरिकी विश्वविद्यालय में शिक्षण से संबंधित प्रोजेक्ट पर काम करेंगे और इसका सारा खर्च अमेरिकी सरकार उठाएगी.
अलवर के रहने वाले एपगुरु इमरान खान 2015 में तब सुर्खियों में आये थे. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के विम्बले स्टेडियम में अपने भाषण में कहा था कि मेरा भारत अलवर के इमरान में बसता है , दरअसल इमरान ने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े सैकड़ों एप बनाये है, इनके लाखों फॉलोअर्स है.
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इमरान अलवर के एक सरकारी स्कूल में संस्कृत शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं. लेकिन टैक्नोलॉजी में रुचि होने के चलते वो इसे सीखते रहे और 2015 से अबतक एजुकेशन से जुड़े 50 एप बना चुके हैं. मानव संसाधन मंत्रालय के जरिए इन एप को लोगों को समर्पित कर दिया गया है.
इमरान खान ने केंद्र सरकार के लिए प्रशस्त एप बनाया है, जो विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग करने का काम करता है. इसके अलावा राजस्थान सरकार के लिए दिशारी कर देववाणी एप बनाया है. कोरोना के दौरान इमरान खान के एप्स ने घर बैठे शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
वर्तमान में इमरान के एप्स के 3 करोड़ यूजर्स हैं जो भारत के अलावा 50 देशों में भी हैं. अब एपगुरु इमरान खान का अंतरराष्ट्रीय शिक्षक फैलोशिप के लिए चयन होने के बाद वो इस क्षेत्र में और बड़ा मुकाम हासिल करेंगे ऐसी उम्मीद है.
यूनाइटेड स्टेट्स इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन की तरफ से पूर्व सीनेटर विलियम फुलब्राइट के सम्मान में फुलब्राइट फेलोशिप कार्यक्रम चलाया जाता है. इसके तहत पूरी दुनिया से शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाले 50 शिक्षकों का चयन किया जाता है.
कार्यक्रम का उद्देश्य यूएसए और अन्य देशों के लोगों के बीच आपसी समझ को बढ़ाना है. फैलोशिप के लिए चयन इंटरव्यू के जरिए होता है. फैलोशिप के लिए भारत के प्रथम ग्लोबल टीचर पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक रणजीत दिसाले का चयन हुआ था
रिपोर्टर- जुगल किशोर