Explained: ब्लड ग्रुप की तरह आतंकियों के लिए भी होती है कैटेगरी, आखिर A++ का क्या मतलब?
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Explained: ब्लड ग्रुप की तरह आतंकियों के लिए भी होती है कैटेगरी, आखिर A++ का क्या मतलब?

A++ Terrorists: जैसे ब्लड का ग्रुप होता है वैसे ही आतंकियों का भी ग्रुप होता है. लेकिन आतंकियों के ग्रुप को देश का गृहमंत्रालय डिसाइड करता है. आइए इनकी कुंडली जान लेते हैं कि आखिर ये कौन होते हैं. कैसे इन पर कार्रवाई होती है ये भी समझेंगे. 

Explained: ब्लड ग्रुप की तरह आतंकियों के लिए भी होती है कैटेगरी, आखिर A++ का क्या मतलब?

Terrorist Categories: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के कड्डर इलाके में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को ढेर कर दिया. इनमें हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर फारूक अहमद भट उर्फ फारूक नल्ली भी शामिल था जो A++ श्रेणी का आतंकी था. इस घटना के बाद से आतंकियों की कैटेगरी को लेकर चर्चा तेज हो गई है. आइए जानते हैं कि ये कैटेगरी क्या होती है और इसका मतलब क्या है.

कैसे तय होती हैं आतंकियों की श्रेणियां?
गृह मंत्रालय Ministry of Home Affairs समय-समय पर आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों की सूची को अपडेट करता है. इस सूची में कई श्रेणियां होती हैं. A++ कैटेगरी उन आतंकियों को दी जाती है, जो देश और जनता के लिए सबसे बड़ा खतरा होते हैं. इन आतंकियों की जानकारी देने वालों के लिए मोटे इनाम भी घोषित किए जाते हैं.

आतंकियों की पहचान और श्रेणी निर्धारण का आधार

किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा देश की एकता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को अंजाम देने पर उसे आतंकी घोषित किया जाता है. गृह मंत्रालय इसके लिए आधिकारिक गजट में नोटिफिकेशन जारी करता है. अपराध की गंभीरता के आधार पर यह तय किया जाता है कि आतंकी को किस श्रेणी में रखा जाएगा.

A++ श्रेणी.. सबसे खतरनाक आतंकियों का दर्जा

उन आतंकियों को A++ श्रेणी में रखा जाता है जो देश या जनता को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये मोस्ट वॉन्टेड होते हैं और इनके खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाते हैं. इसके बाद A+, A और B श्रेणियां होती हैं जो अपराध की गंभीरता के हिसाब से कम होती जाती हैं.

कश्मीर में A++ श्रेणी के आतंकी

कश्मीर में A++ कैटेगरी में हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और अंसार गजवात उल-हिंद जैसे संगठनों के कई आतंकी शामिल हैं. ये वही आतंकी होते हैं, जिन पर बम धमाकों, दंगों की साजिश या देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप होते हैं. हाल ही में हिजबुल का वांटेड आतंकी जावेद अहमद मट्टू इसी श्रेणी में था, जिसे साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया.

गृह मंत्रालय की भूमिका

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गृह मंत्रालय विशेषज्ञों के साथ मिलकर यह तय करता है कि कौन-से गुट आतंकी श्रेणी में आएंगे. हालांकि, कुछ गुट अलग विचारधारा के होते हैं, लेकिन अगर वे हिंसा न करें, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं और देश को तोड़ने की साजिश न रचें, तो उन्हें आतंकवादी संगठन की श्रेणी में नहीं रखा जाता.

विदेशी आतंकवादी संगठन

फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (Foreign Terrorist Organization) में ऐसे गुट शामिल होते हैं, जो देश की सीमाओं में अस्थिरता फैलाते हैं. अमेरिका में ऐसी श्रेणियां हैं, जबकि भारत में विदेशी गुटों को आतंकवादी संगठनों के दायरे में रखा जाता है.

वर्तमान श्रेणियां
फिलहाल गृह मंत्रालय के अनुसार आतंकियों और आतंकी संगठनों की दो श्रेणियां हैं. पहली, जिसमें आतंकवादी आते हैं और जिन पर यूएपीए (UAPA) लगाया गया है. दूसरी ऐसी संस्थाएं जो देश और जनता की सुरक्षा के खिलाफ साजिश रचती हैं. भारत की सूची में 50 से अधिक आतंकियों के नाम हैं, जिनमें कश्मीर और खालिस्तानी अलगाववादी ताकतों से जुड़े लोग शामिल हैं.

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