Baba Balaknath: राजस्थान में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा? पिछले कुछ समय से राजस्थान के डेढ़ दर्जन से ज्यादा नेताओं के नाम मुख्यमंत्री की रेस चल चुके हैं, इसी बीच संसद से विधायक बने बाबा बालक नाथ का एक ट्वीट सामने आया है, जिसने सियासी गलियारे में चल रही चर्चाओं पर विराम लगा दिया है.


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दरअसल अलवर के तिजारा से विधायक चुने गए बाबा बालक नाथ ने शनिवार सुबह एक ट्वीट करते हुए लिखा कि पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनता-जनार्धन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया. चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नज़र अंदाज़ करें।मुझे अभी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है.


 



बाबा बालक नाथ के ट्वीट के बाद लंबे वक्त से राजस्थान के सियासी गलियारे में चल रही चर्चाओं पर विराम लग गया है. चर्चाएं थी कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी एक योगी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन उनके ट्वीट से स्पष्ट हो गया है कि वह अब इस रेस में शामिल नहीं है.


आपको बता दें कि बाबा बालक नाथ एक बेहद साधारण परिवार से संबंध रखते हैं, उनके पिता ने उन्हें दान कर दिया था. दरअसल अलवर स्थित बहरोड के पास कोहराना गांव के रहने वाले सुभाष यादव बेहद ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, वह महाराज खेतानाथ की सेवा करते थे, इसी बीच एक बार महाराज खेतानाथ ने सुभाष यादव से उनका बड़ा बच्चा मांग लिया, तो सुभाष यादव ने भी महाराज खेतानाथ के समाधि लेने के बाद अपना बड़ा बेटा दान कर दिया. उस वक्त उसकी उम्र महज 6 साल थी, जो बाद में बाबा बालक नाथ बने.


बाबा बालक नाथ रोहतक स्थित स्थल बोहर के महंत बने. उसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने उन्हें विधायक का टिकट दिया तो वह तिजारा से चुनावी मैदान में उतर आए, बाबा बालक नाथ को मुख्यमंत्री पद का एक प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन अब उनके ट्वीट के बाद सभी तरह की चर्चाओं पर विराम लग गया है.


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