Success Story: सात बार हुए असफल फिर भी नहीं मानी हार, अभावों को मात देकर बनाई खुद की कामयाबी की राहें
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Success Story: सात बार हुए असफल फिर भी नहीं मानी हार, अभावों को मात देकर बनाई खुद की कामयाबी की राहें

Success story of Kirtaram: पश्चिम राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के युवा अभावों में भी निखर कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.  बाड़मेर जिले के नागड़दा निवासी 27 साल के किरताराम के पिता गोरधनराम मजदूर है.

Barmer Kirtaram Success story

Success story of Kirtaram: पश्चिम राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के युवा अभावों में भी निखर कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. किरताराम मेघवाल 7 बार की असफलताओं के बाद आठवें प्रयास में किरताराम ने भूगोल विषय मे व्यख्याता बनें है. किरताराम का यह संघर्ष अब युवाओं की प्रेरणा बन रहा है.

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किरताराम के माता-पिता ने सड़क पर मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया. इतना ही नहीं किरताराम एक नही दो नही बल्कि 7 बार असफल हुए. बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत जारी. आखिरकार किरताराम भूगोल विषय मे व्याख्यता बने है.

दरअसल, बाड़मेर जिले के नागड़दा निवासी 27 साल के किरताराम के पिता गोरधनराम मजदूर है और माता लुणी देवी ग्रहणी है. किरताराम की माली हालात ठीक नहीं थी. यही वजह रही कि गोरधनराम ने सड़क बनाने के काम में मजदूरी कर उन्हें पढ़ाया लिखाया. किरताराम अपनी मेहनत पर अडिग था लेकिन एक नहीं दो नहीं बल्कि 7 बार असफलताओं का सामना करना पड़ा.

किरताराम का बड़ा भाई जोगाराम कपड़ा सिलाई का काम करते है. बार- बार असफल होने के बाद किरताराम भी अपने पिता के साथ मजदूरी पर गया लेकिन, पिता ने पढ़ने के लिए कहा. किरताराम ग्राम सेवक, एलडीसी, रिट, सेकेंड ग्रेड भर्ती परीक्षा में असफल रह चुके है.

अब किरताराम का अक्टूबर 2023 में तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा में चयन हुआ था और अब दिसंबर 2023 में ही भूगोल विषय मे प्राध्यापक बनें है. किरताराम की इस असफलता के बाद माता-पिता के लिए खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. वहीं जिले के लोग किरताराम को सोशल मीडिया पर बधाइयां दे रहे हैं.

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