भरतपुर के इस हनुमान मंदिर की धूनी करती है बुरी आत्माओं का नाश, पुजारी सिर्फ चाय पर जिंदा
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भरतपुर के इस हनुमान मंदिर की धूनी करती है बुरी आत्माओं का नाश, पुजारी सिर्फ चाय पर जिंदा


राजस्थान(Rajasthan) के भरतपुर(Bharatpur) में श्री बनखंडी बालाजी महाराज मंदिर(Shri Bankhandi Balaji Maharaj Temple) में कई शक्तियां बिराजती है. मंदिर की धूनी घर में सुख शांति लाती है तो वहीं मंदिर के पुजारी सिर्फ चाय पीकर जिंदा हैं.

भरतपुर के इस हनुमान मंदिर की धूनी करती है बुरी आत्माओं का नाश, पुजारी सिर्फ चाय पर जिंदा

Bharatpur News : देश में हनुमान जी के अनगिनत मंदिर हैं, जो अपनी किसी न किसी विशेषता को लेकर प्रसिद्ध हैं. एक ऐसा ही मंदिर है भरतपुर जिले के कस्बा हलैना में श्री बनखंडी बालाजी का मंदिर. मान्यता है कि  यह मंदिर श्री कृष्ण के युग का है. इस मंदिर में स्थापित श्री बनखंडी बालाजी प्रतिमा और इसके पास एक करील का पेड़ है, जो पांच हजार साल पुराना है.  दूरदराज से भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के साथ ही अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं.

मान्यता है कि यहां पर सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है. लोगों की मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा को छोड़कर द्वारिका जाते वक्त बलराम से इसी स्थान पर मंत्रणा की थी. स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाबा की धूनी और श्री बनखंडी बालाजी महाराज की रज लगाने से परिवार में सुख शांति रहती है और बुरी आत्माओं से भी छुटकारा मिलता है. मंदिर में सेवारत पुजारी अन्न का त्याग कर चाय और पानी से ही जीवन जी रहे हैं. 

धूनी की रज लगाने से परिवार में सुख शांति आती है
स्थानीय निवासी जगदीश ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन है. इस मंदिर के प्रति सर्व समाज और सर्वधर्म की आस्था है. मंदिर में श्री बनखंडी बालाजी की प्रतिमा और प्रतिमा के पास में करील का पेड़ लोगों को अपनी ओर खींच लाता है. बाबा की धूनी और श्री बनखंडी बालाजी महाराज की रज लगाने से परिवार में सुख शांति रहती है और बुरी आत्माओं से भी छुटकारा मिलता है.

स्थानीय निवासी सतीश कुमार ने बताया कि इस मंदिर का सन 1992 से जीर्णोद्धार शुरू कराया जो अभी तक जारी है. इस मंदिर में हिंडोन और बंसी पहाड़पुर का पत्थर ही उपयोग में लिया जा रहा है. इसका निर्माण कार्य में सर्व समाज सर्व धर्म की तरफ से चंदा जमा किया जा रहा है. इस मंदिर में 2 दर्जन से अधिक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. मंदिर के महंत रवि नाथ महाराज ने साल 1998 से आज तक अन्न का त्याग कर रखा है, जो केवल चाय और पानी का ही सेवन करते हैं.

 

 

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