जल्द हो सकता है दुनिया का खात्मा, वैज्ञानिकों को मिला नर्क का रास्ता
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जल्द हो सकता है दुनिया का खात्मा, वैज्ञानिकों को मिला नर्क का रास्ता

 Btagaika Crater की लंबाई को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा कि इस सबसे बड़ा कारण साइबेरिया में तापमान बहुत कम होना हैक्योंकि उत्तरी साइबेरिया बहुत सर्द क्षेत्र है और यहां गरमी का मौसम केवल एक महीने रहता है.

 जल्द हो सकता है दुनिया का खात्मा, वैज्ञानिकों को मिला नर्क का रास्ता

Bharatpur: प्रकृति अपनी गोद में कितने अनोखे राज छुपाए हुए ये आजतक कोई नहीं जान पाया है, पर वैज्ञानिक प्रकृतिक के इन अद्भुत रहस्यों को खोजने के लिए तीसरी दुनिया में जाने तक से परहेज नहीं करते हैं. वह प्रकृतिक के हर उस राज को खंगाल लेना चाहते है, जिससे प्रकृति के रहस्यों से पर्दा उठाया जा सके.

ऐसे ही एक रहस्य को वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है , साइबेरिया के नर्क के दरवाजे को. यह नर्क का दरवाजा रूस के साइबेरिया (Siberia Mouth of Hell Opens) प्रांत में है. लोग इसे नर्क का रास्ता (Way to Underworld) कह रहे हैं.

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क्या है आखिर यह नर्क का रास्ता

Batagaika Crater के नाम से मशहूर ये गड्ढा धरती की सतह पर बना एक रहस्यमयी छेद है, जो सबसे पहले साल 1980 में नापा गया था. तब से अब तक इस गड्ढे की लंबाई में 1 किलोमीटर का इज़ाफा हो चुका है और गहराई 96 मीटर यानि 282.1 फीट हो चुकी है. इतने बड़े विशालकाय छेद को देखकर ऐसा लगता है कि, अगर यह इसी तरह फैलता गया तो यह जल्द ही पूरी दुनिया के निगल जाएगा.

आखिर क्यों है इतना फैमस

वैज्ञानिकों के अनुसार, जब इस गढ्ढे की मिट्टी को पहली बार ध्यान से विशलेषण किया गया तो पाया कि धरती की सतह से निकलने वाली यह मिट्टी 2 लाख साल पुरानी है. साथ ही चौंकाने वाली बात यह है कि, इस गढ्ढे की सबसे निचली सतह 6 लाख साल से भी ज्यादा पुरानी है. जिसके कारण इसे येशिया का सबसे पुराना गढ्ढा माना जाता है.

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बना चिंता का विषय

Batagaika Crater को लेकर वैज्ञानिकों ने एक चिंताजनक खबर दी है. जिसके अनुसार लगातार बढ़ रहे इस की लंबाई को अगर रोका गया तो जल्द ही यह आसपास के पूरे इलाकें को अपनी जद में ले लेगा. पर परेशान करने वाली बात यह है कि इस कोशिश करने पर भी रोका नहीं जा सकता है.

क्या है वजह

लगातार बढ़ रही Btagaika Crater की लंबाई को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा कि इस सबसे बड़ा कारण साइबेरिया में तापमान बहुत कम होना है. क्योंकि उत्तरी साइबेरिया बहुत सर्द क्षेत्र है और यहां गरमी का मौसम केवल एक महीने रहता है. ऐसे में यहां नीचे की जमीन जम गई थी. जब 1960 में यहां के जंगल हटे तो सूर्य की किरणें वहां पहुंचीं. जिसकी वजह से जमीन पिघलकर धंसने लगी.

वैज्ञानिकों के मुताबिक जमीन धंसने के अलावा एक चीज और है जो चिंता का विषय बनकर उभरी है. इससे लगातार ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है, जिसके कारण यहां के आसपास रहने वाले लोगों को बूम की आवाज भी सुनाई दी. इसके अलावा यहां के रहने वाले इसे दूसरी दुनिया का रास्ता कहते है क्योंकि इस गढ्ढे की कही से शुरुआत नहीं दिख रही है, पर वैज्ञानिकों के जरिए इसकी जांच में पाया था कि, इसमें सिर्फ चट्टानें थीं और कोई दूसरा प्रवेश द्वार नहीं था।. इसके अंदर एक घोड़े के अवशेष मिले, जो 42 हजार साल पुराने हो सकते हैं.

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