Chittorgarh: जिले में बहने वाली गम्भीरी नदी ने भ्रष्ट आचरण रखने वाले नेताओं और अधिकारियों को चेतावनी भरा संदेश दिया है, कि मेरी सीमा पर अतिक्रमण हटाने के लिए ना तो मुझे प्रशासन से अनुमति की जरूरत है और ना ही सुप्रीम कोर्ट में कन्टेम्प्ट टू कोर्ट लगाने की. भारी बारिश के चलते गम्भीरी बांध के चार बड़े और छः छोटे गेट खोलने पर अचानक चित्तौड़गढ़ की तरफ पानी की आवक बढ़ने से, गम्भीरी नदी का जल स्तर बढ़ गया. जल स्तर बढ़ने से रोडवेज बस स्टैंड वाली सड़क को पुलिया की तरफ से दोनों तरफ आने जाने वाले यातायात को पुलिस प्रशासन द्वारा सुबह कुछ घंटों के लिए बंद कर दिया गया, तो वहीं शहर में नई पुलिया के नाम से पहचान रखने वाली महाराणा प्रताप पुलिया की ऊंचाई एच एफ एल से लगभग पांच फीट अधिक होने से इस पर यातायात जारी रखा गया. जिससे शहर वासियों ने नई पुलिया पर पहुंच कर गम्भीरी नदी के उफान का जमकर लुप्त उठाया.


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जब लोग गम्भीरी नदी का लुप्त उठा ही रहे थे तो अचानक उन लोगों में से कुछ लोगों ने गम्भीरी नदी के उत्तर दिशा में मोबाइल के कैमरे निकाल कर विडियो बनानी चालू कर दी, जिसमें गम्भीरी नदी के पानी के उफान ने एक निजी होटल के द्वारा कुछ समय पहले नदी के तट पर अतिक्रमण कर बनाई गई दीवार को कागज के पत्तों के समान ढ़हा कर अपने में समा लिया. अचानक यह विडियो शहर सहित पूरे देश में वायरल हो गया और लोग आपस में बातें करते दिखाई दिए कि रसूखदार होटल व्यवसाई ने भ्रष्ट नगर परिषद् प्रशासन और नेताओं से सांठ गांठ कर प्रकृति को इस तरह से बल पूर्वक बांध गम्भीरी नदी पर अतिक्रमण किया है, तभी तो प्रकृति ने इन भ्रष्ट इंसानी ताकतों और ऊंचे रसूखदारों का घमंड तोड़ दिया और मानों यह संदेश दिया हो कि यदि पंचतत्व जैसी महाशक्तियों में से एक कहलाने वाली नदी के बहाव को रसूखदारों ने अपनी भ्रष्टाचार से सनी ताकतों से बांधने की कोशिशें बंद नहीं की तो, एक दिन इसकी सजा तुम्हारे साथ कहीं निर्दोष लोगों को भी बाढ़ के रूप में ना चुकानी पड़ जाए.


आपको बता दे कि रसूखदार होटल व्यवसाई सहित शहर में कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान और कई निजी निवास स्थान के लिए पक्के भवनों को नदी और नालों पर अतिक्रमण करते हुए बना दिया गया है, जो कि सुप्रीम कोर्ट और नगर परिषद् के नियमों की अवहेलना करने के अलावा भ्रष्टाचार में डूबे नगर परिषद् के कर्मचारियों और अधिकारियों की पोल खोल रही है. गम्भीरी नदी जो कि शहर के लिए मां समान है ने शहरवासियों के लिए एक ऐसा न्याय कर दिखाया है, जो भ्रष्टाचार के मुंह पर तमाचा तो है ही, साथ ही नदी नालों पर अतिक्रमण करने वाले भ्रष्ट तंत्र को एक मूक चेतावनी भी है कि प्राकृतिक शक्तियों को भ्रष्ट तंत्र को उखाड़ फेंकने के लिए कोर्ट में कन्टेम्प्ट टू कोर्ट लगाने की जरूरत नहीं है, प्रकृति भू न्यायाधिपति है जो जब चाहे जहां चाहे इन अमानवीय लोगों को सबक सीखा सकती है, लेकिन कभी इन भ्रष्ट लोगों के कुकृत्यों की सजा कहीं निर्दोष लोगों को ना भुगतनी पड़ जाए यह चिंता का विषय है.


Reporter - Deepak Vyas


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