Dausa News: दौसा शहर के लोग एक तरफ एक-एक बूंद पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ जलदाय विभाग की लापरवाही से लाखों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है. इसके बावजूद भी विभाग की जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं. 


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दौसा जिला मुख्यालय पर स्थित गणेश नगर में आए दिन पाइपलाइन लीकेज के चलते पानी सड़कों पर बह रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पाइपलाइन लीकेज को लेकर कई बार जिम्मेदारों को अवगत भी करवाया गया लेकिन उसके बावजूद भी लीकेज ठीक नहीं किए गए, जिसके चलते पानी सप्लाई के दौरान घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा बल्कि व्यर्थ सड़कों पर बह रहा है.


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दौसा शहर के पानी के हालातों की बात करें तो जलदाय विभाग द्वारा 8 से 9 दिन में एक बार नलों में पानी की सप्लाई दी जाती है और वह भी महज आधा घंटे अब वह पानी भी उन्हें नहीं मिले तो वह कैसे अपनी प्यास बुझाए लोगों को पानी के लिए₹500 में टैंकर खरीदने पड़ रहे हैं और अब गर्मी शुरू होने वाली है. ऐसे में पानी का बड़ा संकट गहरा सकता है.


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Dausa News: नगर परिषद की बैठक में भाजपा पार्षदों ने किया हंगामा, सभापति के खिलाफ कार्रवाई की मांग

दौसा नगर परिषद में एक बार फिर से सियासी संग्राम छिड़ गया है. गुरुवार को फिर से नगर परिषद की साधारण सभा बैठक हुई, जिसमें बजट पेश होने पर विपक्षी पार्षदों ने जम कर हंगामा किया. बताया जा रहा है कि बैठक शुरू होने के साथ ही सभापति ममता चौधरी ने बजट प्रस्ताव पढ़ना शुरू कर दिया, जिसके समर्थन में कांग्रेसी पार्षदों ने हाथ उठाया. वहीं, विपक्षी भाजपा पार्षद बिना चर्चा के बजट पेश करने को लेकर हंगामा करने लगे. 
मामला इतना बढ़ गया कि पार्षदों ने पानी की बोतल उछाल कर आयुक्त पर पानी फेंक दिया. बाद में बैठक कार्यवाही पूरी मानते हुए सभापति ममता चौधरी और कांग्रेस पार्षद चले गए. वहीं, भाजपा पार्षद बिना चर्चा के बजट पेश करने के खिलाफ धरने पर बैठ गए. इसके बाद भाजपा पार्षद गलत कार्यवाही करने की शिकायत लेकर कलेक्टर देवेन्द्र कुमार के पास पहुंचे और जांच करवाकर सभापति व आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग रखी. 


5 मिनट में मीटिंग समाप्त हुई मीटिंग 
प्रतिपक्ष नेता पूरण सैनी ने कहा कि दौसा नगर परिषद की ओर से गुरुवार को जो मीटिंग रखी गई थी, वो नियमों के विरुद्ध थी. उन्होंने कहा कि सभापति ममता चौधरी ने सभी नियमों को ताक पर मीटिंग की शुरुआत की और 5 मिनट में मीटिंग समाप्त कर चले गए. उन्होंने कहा कि सभापति ने न समर्थन लिया और न ही बहुमत ली. बजट को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई और चर्चा के बिना ही मीटिंग समाप्त कर दी गई. उन्होंने कहा कि हमने कलेक्टर से मांग की है कि सभापति, आयुक्त और जो भ्रष्ट कर्मचारी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.