Dholpur: मचकुंड के लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी
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Dholpur: मचकुंड के लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी

लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने मचकुंड सरोवर में डुबकी लगाई. देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर लंबी सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. हर साल देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले शामिल होते हैं. 

 

Dholpur: मचकुंड के लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी

Dholpur: जिले में मचकुंड के लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने मचकुंड सरोवर में डुबकी लगाई. देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर लंबी सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. हर साल देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले की मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा. इस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुंह देखना पड़ा, तब लीलाधर ने छल से मचकुंड महाराज के जरिये कालयवन का वध कराया था.

इसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियों में खुशी कि लहर दौड़ गई. इसके बाद से आज तक मचकुंड महाराज की तपोभूमि मचकुंड में सभी लोग देवछठ के मौके पर स्नान करते आ रहे हैंयहां नवविवाहित जोड़ो के सेहरे पर लगी मोहरी को सरोवर में विसर्जित कर उनके जीवन की मंगलकामना की जाती है. मेले में बड़ी तादाद में नवविवाहित जोड़े भी आए. उन्होंने स्नान और पूजा के बाद मोहरी को मचकुंड में प्रवाहित किया. घाटों पर मिट्टी और हल्दी लीप कर आटे से चौक मांढ़ा गया और पूजन सामग्री और पकवान चढ़ाएं गए.

मान्यताओं के अनुसार जब देवों और असुरों के बीच युद्घ हो रहा था, तब युद्घ मे लड़ते हुए महाराज मचकुंड थक चुके थे तो उन्होंने भगवान् इन्द्र से आराम करने की जगह मांगी तब इन्द्र ने उन्हें धोलागढ़ स्थित अरावली की पर्वत श्रंखला मे एक गुफा बताई जहां मचकुंड महाराज को आराम करने भेज दिया. आराम करने साथ उन्हें एक वरदान भी दिया गया था कि जो भी उनकी नीद मे खलल डालेगा वो उनकी नेत्र ज्योति से भष्म हो जाएगा. तब मचकुंड महाराज थक कर गुफा मे सोने चले गए.उधर चल रहे देवासुर संग्राम मे देवता जब असुरो  से युद्घ हारने लगे.तब उन्होंने प्रभु श्री कृष्ण की शरण ली.जहां श्री कृष्ण देवताओं को बचाने युद्घ मे कूद पड़े.जहां कालयवन राक्षस से युद्घ लड़ते-लड़ते वे उस गुफा मे पहुंच गए.जहां मचकुंड महाराज आराम करने सो रहे थे तभी भगवान श्री कृष्ण ने अपना पीताम्बर मचकुंड महाराज को उड़ा दिया. उधर कालयवन कृष्ण का पीछा करते करते गुफा मे पहुंच गया जहां मचकुंड महाराज सोये हुए थे. उसने कृष्ण के पीताम्बर को देख मचकुंड महाराज को लात मारकर जगा दिया जिनके नेत्र की ज्योति से कालयवन भष्म हो गया.तब से ही श्री कृष्ण को यहां से छलिया का नाम दिया गया. इस पूरी घटना के बाद देवता युद्घ जीत गए तब मचकुंड महाराज ने यही विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया इसी जगह सरोवर की स्थापना भी की गयी. जहां आज भी लाखो श्रद्धालु स्नान करने दूर दूर से आते है. पंचमी व छठ के स्नान के बाद सभी लोग छठ की शाम को पास मे स्थित अब्दाल शाह बाबा की मजार पर उर्स में भाग लेकर कब्बालियां सुनते है.तीन धर्मो की ये अनूठी मिशाल राजस्थान के धौलपुर जिले मे ही मिलती है.

Reporter- Bhanu Sharma

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